डिग्री के साथ-साथ स्किल भी जरूरी, छात्रों को कौशल विकास पर देना होगा पूरा ध्यान



पोस्ट ग्रेजुएशन करके भी बेरोजगार रहने वाले युवाओं की संख्या हमारे देश में सबसे अधिक है। इस समस्या का हल है स्किल डेवलपमेंट यानी कौशल विकास। छात्रों को चाहिए कि वे अपने कौशल विकास पर काम करें। डिग्री होने पर भी स्किल यानी कौशल के अभाव में उनका आगे का रास्ता बहुत कठिन होता है, चाहे किसी भी कालेज की डिग्री क्यों न हो। वर्ष 2019 की इंडिया स्किल्स की रिपोर्ट के अनुसार देश के ग्रेजुएशन करने वाले 53 प्रतिशत युवा इस लायक ही नहीं हैं कि उन्हें कोई रोजगार दिया जा सके, क्योंकि उनके पास डिग्री तो है, लेकिन स्किल नहीं है। स्किल किसी कार्य को ठीक से करने की क्षमता को कहते हैं। भारत के सुपर पावर बनने के लिए युवाओं में इस क्षमता का होना जरूरी है।
कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 75 कौशल विकास योजनाओं की शुरुआत की थी। तब उन्होंने कहा था कि युवाओं का कौशल ही भारत को आत्मनिर्भर बना सकता है। वर्ष 2030 तक भारत के 65 प्रतिशत यानी 100 करोड़ युवा नौकरी करने की उम्र में पहुंच जाएंगे यानी उन्हें नौकरी चाहिए होगी। अब सवाल यह है कि क्या सरकारी या प्राइवेट सेक्टर के पास इतनी नौकरियां हैं? इसका जवाब है नहीं। न तो सरकार के पास और न ही प्राइवेट सेक्टर के पास इतनी नौकरियां हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि युवा जनसंख्या का फायदा उठाने का भारत के पास यह आखिरी मौका होगा। इसलिए स्किल डेवलपमेंट की शुरुआत स्कूलों से करनी होगी। इसके लिए बहुत कम उम्र में ही बच्चों की प्रतिभा पहचाननी होगी, लेकिन स्कूलों में पढ़ाई के नाम पर बच्चों को सिर्फ आंकड़े और जानकारियां दी जाती हैं, जिन्हें रटकर परीक्षा में उत्तर पुस्तिका पर लिखना होता है। उनकी प्रतिभा को निखारने के लिए आज भी हमारे स्कूलों और कालेजों में कुछ खास नहीं किया जाता। जबकि सच यह है कि भारत में इस समय 90 प्रतिशत नौकरियां ऐसी हैं, जिनके लिए किसी न किसी प्रकार के विशेष कौशल की जरूरत पड़ती है। परिणामस्वरूप ज्यादातर लोगों को नौकरियां मिल ही नहीं पातीं।
वल्र्ड इकोनामिक फोरम के मुताबिक आने वाले समय में पूरी दुनिया में 100 करोड़ नौकरियां अकेले टेक्नोलाजी पर ही आधारित होंगी। इसलिए नई-नई टेक्नोलाजी की जानकारियां जुटाना और उनमें महारत हासिल करना भारत के युवाओं के लिए बहुत जरूरी है। आज जरूरी है कि डिग्री हासिल करने के साथ-साथ छात्र कोई कौशल भी सीखें। भारत की नई शिक्षा नीति भी इसमें बहुत सहायक है। इसके मुताबिक कोई भी छात्र किसी भी वर्ष में कालेज की पढ़ाई को छोड़कर कोई नया स्किल सीख सकता है और फिर वापस आकर कालेज ज्वाइन कर सकता है। अत: अब इस नए समय में नए भारत के निर्माण के लिए छात्रों को डिग्रियों के साथ-साथ अपने कौशल विकास पर भी भरपूर ध्यान देना होगा।
(लेखिका स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)