Dark 7 White Review: सियासी दाव-पेंच के साथ मर्डर मिस्ट्री का दिलचस्प खेल सुमीत व्यास की ‘डार्क 7 व्हाइट’



भारतीय वेब सीरीज़ के निर्माण में साहित्यिक रचनाओं को अडेप्ट करने का चलन तो शुरू हो गया है, मगर यह अभी क्राइम-थ्रिलर ज़ॉनर के इर्द-गिर्द ही सीमित है। इसी चलन की अगली कड़ी ज़ी5 और ऑल्ट बालाजी की नई वेब सीरीज़ ‘डार्क 7 व्हाइट’ (Dark 7 White) है, जो श्वेता बृजपुरिया के क्राइम थ्रिलर अंग्रेज़ी नॉवल ‘डार्क व्हाइट’ का स्क्रीन अडेप्टेशन है। 10 एपिसोड्स की सीरीज़ इन दोनों ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर आज (24 नवम्बर) रिलीज़ हो गयी। इससे पहले ज़ी5 और ऑल्ट बालाजी हिंदी क्राइम थ्रिलर उपन्यास ‘बिच्छू का खेल’ पर इसी नाम से सीरीज़ ला चुके हैं, जिसमें दिव्येंदु शर्मा लीड रोल में थे।
‘डार्क 7 व्हाइट’ सीरीज़ मूल रूप से एक मर्डर मिस्ट्री है, मगर कहानी में सियासी दाव-पेंच, दोस्ती, पारिवारिक और रंजिश साथ-साथ चलते हैं। राजस्थान की शाही पृष्ठभूमि में सेट इस सीरीज़ की शुरुआत युद्धवीर सिंह यानी यूडी (सुमीत व्यास) से होती है, जो सबसे कम उम्र का सीएम बन चुका है। युद्धवीर, राजस्थान के एक राजघराने से ताल्लुक रखता है। चुनाव जीतने के बाद सीएम की कुर्सी पर बैठने से पहले ही उसका क़त्ल उस समय कर दिया जाता है, जब वो अपने लाव-लश्कर के साथ सीएम पद की शपथ लेने जा रहा होता है। इसके बाद आगे की कहानी युद्धवीर के अतीत (नैरेटिव स्टाइल) और उसके क़त्ल के इनवेस्टिगेशन के साथ आगे बढ़ती है।
इनवेस्टिगेशन डीसीपी अभिमन्यु सिंह (जतिन सर्ना) द्वारा किया जा रहा है। युद्धवीर के क़त्ल के लिए कई लोग संदेह के घेरे में हैं, जिनमें उसके परिवार के अलावा दो सभी दोस्त भी शामिल हैं, जिनकी मदद से युद्धवीर ने सियासत में कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ीं। यह सभी युद्धवीर के छात्र राजनीति के समये से साथी रहे हैं और वक़्त के साथ व्यक्तिगत ज़िंदगी में उन्होंने उल्लेखनीय तरक्की कर ली है। अभिमन्यु भी इन सभी को कॉलेज के समय से जानता है और सभी एक-एक करके उसके इनवेस्टिगेशन का हिस्सा बनने वाले हैं।
दरअसल, कॉलेज में अय्याशी के साथ ज़िंदगी बिताते युद्धवीर को राजनीति की तरफ़ जाने के लिए प्रेरित करने में अभिमन्यु सिंह का काफ़ी योगदान है। एक घटनाक्रम के बाद युद्धवीर को एहसास होता है कि आज के दौर में उसके शाही अतीत से अधिक ताक़त सियासत में है और यहीं से उसकी ज़िंदगी का रास्ता बदल जाता है।
ऑल्ट बालाजी टीम की ओर से उपलब्ध करवाये गये तीन एपिसोड्स से यह तो साफ़ हो जाता है कि ‘डार्क 7 व्हाइट’ एक दिलचस्प मर्डर मिस्ट्री है, जो इस जॉनर के चाहने वालों को पसंद आएगी। मगर, सीरीज़ की शुरुआत में ही एक साथ इतने किरदार आ जाते हैं कि पात्रों को एक-दूसरे से अलग रखने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है। शुरुआत के तीन एपिसोड्स में पात्र और घटनाएं उलझी हुई लगती हैं। सुमीत व्यास और जतिन सर्ना के अलावा कोई किरदार उभरकर नहीं आ पाया है। अभिनय के लिहाज़ से भी इन दोनों कलाकारों के अलावा कोई और प्रभावित नहीं कर पाता।
चूंकि यह एक मर्डर मिस्ट्री है, लिहाज़ा आगे के एपिसोड्स में किरदारों का चाल और चरित्र बदल सकता है, जो दिलचस्पी बढ़ा सकता है। किरदारों के ज़रिए राजनीति के पुराने खांचों को तोड़ने और किरदारों को उबेर कूल दिखाने के फेर में लेखन में जमकर अंग्रेज़ी मिश्रित गालियों और कामुक दृश्यों का इस्तेमाल किया गया है। वहीं, वैचारिक स्तर पर विरोधाभास की तस्वीर भी निकलकर आती है। पुरुष किरदारों के बीच समलैंगिकता को लेकर अपराध बोध का भाव दिखाया गया है तो वहीं महिला किरदार ब्रा हवा में उछालकर अपनी उनमुक्त कामुकता का प्रदर्शन करने से नहीं चूकते।
स्टोरी और स्क्रीनप्ले मोहिंदर प्रताप सिंह और मयूरी रॉय चौधरी का है, जबक संवाद प्रांजल सक्सेना, शशांक कुंवर और स्नेहिल दीक्षित के हैं। संवादों और नैरेशन में ऐसे शब्दों को इस्तेमाल किया गया है, जिससे युद्धवीर का किरदार नेताओं के सदियों पुराने खांचे से निकलकर आज के नौजवान को प्रभावित करने वाला लगे। सीरीज़ का निर्देशन सात्विक मोहंती ने किया है।
कलाकार- सुमीत व्यास, निधि सिंह, जतिन सर्ना आदि।
निर्देशक- सात्विक मोहंती
निर्माता- एकता कपूर
वर्डिक्ट- *** (तीन स्टार)