क्रिप्टोकरेंसी पर कराधान को लेकर ‘एफएक्यू’ पर काम कर रही सरकार, आयकर लगाने के बारे में चीजें होंगी स्पष्ट
सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर कराधान को लेकर बार-बार पूछे जाने वाले प्रश्नों (एफएक्यू) पर काम कर रही है। एक अधिकारी ने कहा कि एफएक्यू से वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों पर आयकर और जीएसटी लगाने के बारे में चीजें स्पष्ट हो सकेंगी। अधिकारी ने कहा कि एफएक्यू का मसौदा आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए), रिजर्व बैंक और राजस्व विभाग द्वारा तैयार किया जा रहा है। विधि मंत्रालय द्वारा इसकी समीक्षा की जाएगी।
अधिकारी ने कहा, ‘क्रिप्टोकरेंसी और वर्चुअल डिजिटल संपत्ति पर कर को लेकर बार-बार पूछे जाने वाले सवालों पर काम चल रहा है। हालांकि, अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न सूचना के उद्देश्य से होते हैं और इनकी कोई कानूनी वैधता नहीं होती है, लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए कि इसमें कोई खामी तो नहीं है, विधि मंत्रालय की राय मांगी जा रही है।’
अधिकारी ने बताया कि डीईए, राजस्व विभाग और रिजर्व बैंक यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं कि फील्ड कर कार्यालय और क्रिप्टोकरेंसी और अन्य डिजिटल मुद्राओं का लेनदेन करने वालों के लिए कराधान के पहलू स्पष्ट हो सकें। वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में क्रिप्टो परिसंपत्तियों पर आयकर लगाने के संबंध में चीजें स्पष्ट की गई हैं।
एक अप्रैल से इस तरह के लेनदेन पर उसी तरह से 30 प्रतिशत का आयकर, उपकर और अधिभार लगाया जाएगा जैसा कि घुड़दौड़ या अन्य सट्टेबाजी वाले लेनदेन पर लगाता है। जीएसटी के दृष्टिकोण से एफएक्यू से यह स्पष्ट हो सकेगा कि क्रिप्टोकरेंसी वस्तु है या सेवा। अभी क्रिप्टो एक्सचेंजों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है और इसे वित्तीय सेवाओं के तौर पर वर्गीकृत किया जाता है।
सनद रहे हाल ही में राज्यसभा में भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा था कि क्रिप्टो करेंसी पर 30 फीसद कर लगाने का जो प्रस्ताव बजट में किया गया है वह नाकाफी है। क्रिप्टो करेंसी पर और ज्यादा कर लगाए जाने पर विचार किया जाना चाहिए। इसके साथ ही भाजपा नेता ने केंद्र से आनलाइन गेमिंग, आनलाइन लैंडिंग पर लगाम कसने के लिए आईटी कानून में बदलाव के सुझाव भी दिए थे।