कोरोना के नाम पर ब्रिटेन में बर्बाद हो गए 37 अरब पाउंड, संसद के सदस्यों ने जारी की रिपोर्ट
ब्रिटिश संसद के सदस्यों द्वारा कोरोना पर तैयार एक सनसनीखेज रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने एक योजना पर करीब 37 अरब पाउंड (करीब 27 खरब रुपये) फूंक दिए गए लेकिन उसका कोई खास लाभ नहीं मिला। रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल कोरोना की रोकथाम के लिए शुरू की गई ट्रेसिंग और टेस्टिंग योजना में बड़े पैमाने पर करदाताओं के पैसे की बर्बादी हुई और आम लोगों को कोई खास फायदा नहीं हुआ। हाउस आफ कामंस की लोक लेखा समिति के अध्यक्ष ने इसके लिए सरकार और इस कार्यक्रम की ‘अनुभवहीन’ प्रमुथ हेड डिडो हार्डिग पर ठीकरा फोड़ा है। समिति ने आरोप लगाया कि उनके पास महामारी से निपटने की कोई योजना नहीं थी।
विपक्षी दल लेबर पार्टी के मेग हिलियर ने बताया कि जनता से जो भी वादा किया गया, उस पर अमल नहीं किया गया। देश के करदाता को एक एटीएम की तरह समझा गया। यह वास्तव में दुख की बात है कि देश के करदाता के प्रति सरकार के मन में कोई हमदर्दी नहीं है।उल्लेखनीय है पिछले साल जब महामारी फैली तब ब्रिटेन ने नए मामलों की टेस्टिंग और संक्रमित लोगों का पता लगाने के लिए बड़े पैमाने पर कार्यक्रम शुरू करने की कोशिश की लेकिन जल्द ही कोरोना विस्फोट हो गया और पूरे यूरोप में रूस के बाद ब्रिटेन में सबसे ज्यादा मौतें हुईं।
सांसदों की रिपोर्ट में कहा गया है कि हार्डिग और सरकार ने देश की ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा’ के मौजूदा नेटवर्क के बजाय बाहरी महंगे ठेकेदारों पर अधिक भरोसा किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार कार्यक्रम में दी जाने वाली सेवाएं लगातार बदलती रही और इसका लाभ कोरोना लक्षणों का अनुभव करने वाले बेहद छोटे तबके को ही मिल सका। रिपोर्ट के निष्कर्ष के अनुसार सरकार की योजना पूरी तरह से असफल रही। यह कोरोना की चेन को तोड़ने के मुख्य लक्ष्य को भी पूरा नहीं कर पाई। उधर ब्रिटिश सरकार ने टेस्टिंग प्रोग्राम का बचाव करते हुए कहा कि देश का टेस्टिंग प्रोग्राम पूरे यूरोप में सबसे अच्छा है। यूके हेल्थ सिक्युरिटी एजेंसी के जेनी हेरिस ने बताया कि इसने हर दिन लोगों की जान बचाई है और कोरोना से लड़ने में मदद की।