कांग्रेस हाईकमान का ‘हाथ’ अबकी बार कैप्टन के साथ, सिद्धू और उनके समर्थकों के लिए खींची सियासी सीमा रेखा



पंजाब में बार-बार उठ रहे असंतोष के सियासी सुर से परेशान कांग्रेस हाईकमान इस दफा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ खड़ा होता दिखाई दे रहा है। कैप्टन अमरिंदर के नेतृत्व में ही अगले विधानसभा का चुनाव लड़ने की बात दुहराकर पार्टी नेतृत्व ने प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद भी कैप्टन विरोध की राजनीति को हवा दे रहे नवजोत सिंह सिद्धू के लिए सियासी लाइन खींच दी है। साथ ही स्पष्ट कर दिया है कि मुख्यमंत्री को हटाने के लिए बगावती तेवर दिखाने वाले नेताओं और विधायकों को हाईकमान की इस लक्ष्मण रेखा के भीतर ही रहना होगा।
सिद्धू के कामकाज को लेकर नाखुशी
पार्टी के उच्चपदस्थ सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस नेतृत्व सूबे में हुए बड़े संगठनात्मक बदलाव के बावजूद प्रदेश इकाई में उठापटक नहीं थमने को लेकर नाखुश है। उसका मानना है कि प्रदेश अध्यक्ष बन जाने के बाद सिद्धू को बड़े आयाम पर सभी को साधते हुए चलने की जरूरत है मगर उनके कामकाज में अभी इसका अभाव नजर आ रहा है।
सख्ती के मूड में पार्टी नेतृत्व
हाईकमान ने भले औपचारिक रूप से कुछ नहीं कहा है मगर सिद्धू के सलाहकारों की नियुक्ति और उनके विवादित बयानों को लेकर भी वह नाखुश है। इसीलिए इस बार कैप्टन के खिलाफ 23 विधायकों और चार मंत्रियों की बगावत की खबरें आते ही कांग्रेस नेतृत्व ने लगभग यह मन बना लिया है कि असंतोष को उकसा रहे सिद्धू और उनके समर्थकों के लिए स्पष्ट सीमा रेखा खींची जाए।
सीमा रेखा तय
कैप्टन के खिलाफ झंडा उठा रहे मंत्रियों और विधायकों से देहरादून में मिलने के बाद हरीश रावत ने अमरिंदर के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ने की घोषणा कर हाईकमान की ओर से खींची गई सीमा रेखा साफ कर दी। सूत्रों का कहना है कि रावत ने कैप्टन के समर्थन में यह बयान हाईकमान से मिले साफ संदेश के बाद ही दिया है।
सोनिया का सीधा संदेश
बताया जाता है कि रावत ने पंजाब की ताजा उठापटक को लेकर नेतृत्व से बीते दो दिनों में जो चर्चा की उसमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का संदेश साफ था कि पंजाब में हुए संगठनात्मक बदलाव के क्रम में जो फार्मूला बना उसमें किसी तरह की छेड़छाड़ की गुंजाइश नहीं है।
कैप्टन का हाथ मजबूत करने के संकेत
इस फार्मूले के तहत ही सिद्धू को कैप्टन की अनिच्छा और विरोध के बावजूद प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी दी गई और यह भी तय हो गया था कि अमरिंदर के नेतृत्व में ही कांग्रेस चुनाव मैदान में जाएगी। जाहिर तौर पर हाईकमान अपने ही तय किए फार्मूले से एक गुट के असंतोष और बगावत के दबाव में किनारा करने के मूड में नहीं है और इसीलिए रावत के जरिए कैप्टन का हाथ मजबूत करने का संदेश दे दिया है।