24 November, 2024 (Sunday)

चौरीचौरा शहीद का स्मारक : पूर्व पीएम इंदिरा गांधी, पीवी नरसिम्हा राव के बाद अब पीएम मोदी का नाम भी जुड़ा

आज से ठीक 100 साल पहले ब्रिटिश हुकूमत की दमनकारी नीतियों के खिलाफ आवाज उठाने वाले बलिदानियों की याद में जो स्मारक स्थल बनाया गया था, पर्यटकों और देशप्रेमियों के लिए वह तीर्थस्थल का रूप ले लेगा। पीएम नरेंद्र मोदी ऐसे तीसरे प्रधानमंत्री होंगे जो शहीद स्मारक स्थल से सीधे जुड़ेंगे। इसके पहले इंदिरा गांधी ने बतौर प्रधानमंत्री जहां इस शहीद स्मारक स्थल की नींव रखी थी वहीं प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने इसका शिलान्यास किया था। 32 लाख रुपये की लागत से बने इस स्मारक स्थल के जीर्णोद्धार के लिए योगी सरकार ने दो करोड़ रुपये से अधिक का बजट जारी किया है, जिससे शहीद स्मारक अब पर्यटन स्थल के स्वरूप में आ गया है।

यूपी के पूर्व सीएम गोविंद वल्लभ पंत भी यहां तीन बार आ चुके हैं

चौरीचौरा शहीद स्मारक स्थल के संयोजक रामनारायण त्रिपाठी बताते हैं कि वर्ष 1966 से ही वह लोग शहीदों की याद में कार्यक्रम करते आ रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री गोविंद वल्लभ पंत भी यहां तीन बार आ चुके हैं। शिक्षा मंत्री चतुर्भुज शर्मा से उन लोगों ने स्मारक स्थल बनाने की मांग उठाई तो उन्होंने उन लोगों को लखनऊ बुलवाया। 20 मई 1970 को उन लोगों की मुलाकात तत्कालीन राज्यपाल वी गोपाल रेड्डी से कराई। राज्यपाल ने उन लोगों की मांग को न केवल गंभीरता से सुना बल्कि इसमें गहरी रुचि भी दिखाई। उनके आवेदन पत्र पर ही राज्यपाल ने प्रशासन को आदेशित किया कि भूमि अधिग्रहण कर प्रार्थी की इच्छानुसार स्टीमेट भेजा जाए। यह पत्र जिला प्रशासन के पास आया तो लेकिन वह लोग जमीन नहीं ढूंढ पाए। इस दौरान नेता विरोधी दल एनडी तिवारी भी 05 मार्च 1978 को यहां आए थे। वर्ष 1980 में उन लोगों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मुलाकात कर 04 फरवरी को चौरीचौरा आने का अनुरोध किया। इंदिरा गांधी ने छह फरवरी 1982 को चौरीचौरा आने की सहमति दे दी।

19 जुलाई 1993 को तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने किया लोकार्पण

प्रधानमंत्री के आने की तारीख तय होते ही प्रशासन सक्रिय हो गया और उसने चौरा गांव में ग्राम सभा की एक एकड़ जमीन शहीद स्मारक स्थल के लिए आवंटित कर दी। तय तारीख पर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का आगमन चौरीचौरा के महाजन डिग्री कालेज के मैदान में हुआ। उन्होंने उसी समय शहीद स्मारक स्थल का शिलान्यास किया। शिलान्यास के बाद एक बार फिर यह स्मारक स्थल उपेक्षा का शिकार हो गया और इसको बनने में 13 साल लग गए। इसके निर्माण में तब 32 लाख रुपये खर्च हुए थे। 19 जुलाई 1993 को तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और राज्यपाल मोतीलाल बोरा चौरीचौरा आए और शहीद स्मारक स्थल का लोकार्पण किया।

लोकार्पण समारोह में ही स्मारक स्थल पर लाइब्रेरी और म्यूजियम की नींव रखी गई थी। स्मारक स्थल की लाइब्रेरी में जहां चौरीचौरा कांड की  एफआइआर से लेकर फैसले तक की प्रति  सुरक्षित  रखी गई है वहीं म्यूजियम में फांसी की सजा पाने वाले  19 शहीदों की प्रतिमाएं और अन्य महापुरुषों की प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं।

योगी सरकार ने किया शहीदों को याद

शहीद स्मारक स्थल के शिलान्यास और लोकार्पण के बाद प्रदेश की योगी सरकार ने 27 साल बाद शहीदों को याद किया है। प्रदेश  सरकार ने शहीद स्थल के जीर्णोद्धार के 2.07 करोड़  रुपये का बजट जारी कर इसे न केवल संवारा है बल्कि इतिहास के पन्नों में गुम हो रहे शहीदों को याद कर एक साल तक आयोजन करने की योजना तैयार की है।

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