केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, 80 प्रतिशत जिलों में मनरेगा लोकपाल नियुक्त नहीं किए तो नहीं मिलेगा फंड
केंद्र सरकार अगले वित्त वर्ष से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के लिए उन राज्यों को धनराशि (फंड) नहीं देगी जिनके योजना के अमल वाले 80 प्रतिशत जिलों में मनरेगा लोकपाल नियुक्त नहीं हैं। केंद्रीय ग्रामीण विकास सचिव नागेंद्र नाथ सिन्हा ने रविवार को यह जानकारी दी।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, भाजपा शासित गुजरात, अरुणाचल प्रदेश एवं गोवा; तेदेपा शासित तेलंगाना और केंद्र शासित प्रदेशों पुडुचेरी, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप व दादरा नगर हवेली में मनरेगा के लिए एक भी लोकपाल नियुक्त नहीं है।
इसी तरह ऐसे भी राज्य हैं जहां कुछ ही जिलों में मनरेगा लोकपाल की नियुक्ति की गई है। इनमें कांग्रेस शासित राजस्थान के 33 जिलों में से सिर्फ चार में लोकपाल नियुक्त हैं। तृणमूल कांग्रेस शासित बंगाल के भी योजना के अमल वाले 23 जिलों में से सिर्फ चार में लोकपाल नियुक्त किए गए हैं। हरियाणा और पंजाब में भी इसी तरह के हालात हैं। दोनों ही राज्यों में योजना के तहत 22 जिले हैं और हरियाणा के सिर्फ चार जिलों में व पंजाब के सात जिलों में ही लोकपाल नियुक्त हैं।
लोकपाल की नियुक्ति नहीं होने पर गिरिराज सिंह ने व्यक्त की थी चिंता
बता दें कि गुरुवार को मनरेगा के लिए लोकपाल एप लांच करते हुए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने विभिन्न जिलों में लोकपाल की नियुक्ति नहीं होने पर चिंता व्यक्त की थी। साथ ही उन्होंने कहा था, यह देखा गया है कि कई स्थानों पर राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों की नियुक्तियां की गई थीं। उन्होंने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से अनुरोध किया था कि लोकपाल एप का इस्तेमाल करते हुए मनरेगा को और अधिक पारदर्शी बनाने में वे केंद्र सरकार के साथ सहयोग करें। मनरेगा के तहत शिकायत करने, जानकारी हासिल करने आदि के लिए हर जिले में राज्यों द्वारा लोकपाल की नियुक्ति करना अनिवार्य है।