कंबोडिया के बदले रुख से मित्र ड्रैगन हुआ निराश: कहा- चीन का डंपिंग ग्राउंड नहीं बन सकते हम, जानें पूरा मामला
कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन सेन ने चीन पर हमला करते हुए कहा है कोरोना वायरस टीका परीक्षण के मामले में हमारा देश बीजिंग का डंपिंग ग्राउंड नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि कंबोडिया चीन का डस्टबिन नहीं है। हुन सेन ने कहा कि टीका परीक्षण के लिए कंबोडिया उचित जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि कंबोडिया टीका परीक्षण के लिए चीन को कोई अवसर नहीं देगा। हुन सेन ने कहा कि वह केवल स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुमोदित टीकों पर भरोसा करेगा और स्वीकार करेगा। हुन सेन का बयान चीन के लिए एक बड़ा झटका है। खासकर तब जब चीन और कंबोडिया सामरिक दृष्टि से एक दूसरे के काफी नजदीक है। कंबोडिया का यह कदम दक्षिण पूर्व सागर में चीनी आक्रामकता के खिलाफ संकेत के रूप में देखा जा रहा है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर कंबोडिया के रुख में क्याें आया बदलाव।
दक्षिण पूर्व एशियाई देशों को एकजुट करने में विफल हुआ चीन
दूसरे, कंबोडिया का यह बयान ऐसे समय आया है, जब चीनी प्रीमियर ली केकियांग ने अगस्त में कहा था कि कोरोना वैक्सीन की आपूर्ति को लेकर चीन दक्षिण पूर्व एशियाई देशों को प्राथमिकता देगा। ऐसा करके चीन ने दक्षिण पूर्व एशियाई देशों को एकजुट करने की कोशिश की है। इस बयान के बाद चीन ने सिनोवैक टीकों के पहली खेप पहले ही इंडोनेशिया पहुंचा दी है। हालांकि, अभी तक इस पर इंडोनेशिया की कोई टिप्पणी नहीं आई है। लेकिन कंबोडया ने चीन की इस मंशा पर पानी फेर दिया है। कंबोडिया के वैक्सीन पर दिए गए बयान पर चीन जरूर निराश हुआ होगा।
कंबोडिया के गृह मंत्रालय ने जताई बड़ी चिंता
कर्ज देकर कब्जा करने की नीति के तहत चीन कंबोडिया में भारी निवेश करने में जुटा है। वर्ष 2023 तक कंबोडिया में 10 बिलियन डॉलर तक निवेश करने का चीन का लक्ष्य है। कंबोडिया के गृह मंत्रालय ने इस पर चिंता जताते हुए कहा था कि चीनियों की आबादी कंबोडिया में कुल विदेशियों का 60 प्रतिशत से भी ज्यादा है। कंबोडिया में चीनी दुकानदार लीज पर दुकानें ले रहे हैं और इस तरह से वहां से स्थानीय व्यापार को भी खत्म कर रहे हैं। कंबोडिया के समुद्री शहर सिहानूकविले में चीन ने हर तरफ अपनी फैक्ट्रियां बना ली हैं। यह एक टैक्स-फ्री इकनॉमिक जोन है। इसके साथ ही चीन कंबोडिया में रेलवे, सड़कों और हवाई पट्टियों पर भी निवेश कर रहा है। बता दें कि चीन और कंबोडिया के बीच व्यापारिक संबंध वर्ष 2010 से काफी तेजी से मजबूत हुए। वर्ष 2013 में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने सिल्क रोड प्रोजेक्ट की बात की और कंबोडिया को भी इसमें शामिल कर लिया था।
कंबोडिया और चीन के बीच गोपनीय समझौता
कुछ दिन पूर्व वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह दावा किया गया था कि कंबोडिया और चीन के बीच एक गोपनीय समझौता हुआ है। इस समझौते के तहत चीन की सेना कंबोडिया के समुद्री मिलिट्री बेस को अगले 40 सालों के लिए इस्तेमाल कर सकेगी। कंबोडिया और चीन के बीच हुई यह डील दक्षिण चीन सागर के सामरिक संतुलन के लिए खतरा उत्पन्न कर सकता है। यही कारण है कि अमेरिका ने इस समझौते का पुरजोर विरोध किया था। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय इस पर अपनी आपत्ति जता चुका है।