उत्तर प्रदेश में भगवा पिच पर विपक्ष, बसपा ने अयोध्या से ब्राह्मणों को जोड़ने का अभियान किया शुरू
घरेलू पिच हमेशा मददगार होती है और यदि इस मुहावरे को उत्तर प्रदेश के मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य से जोड़कर देखा जाए तो भाजपा राज्य का अगला विधानसभा चुनाव घरेलू पिच पर ही लड़ेगी और विपक्ष इस पर राजी भी हो गया लगता दिखता है। अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है। अयोध्या ही नहीं काशी, मथुरा, चित्रकूट सहित दूसरे तीर्थ-पर्यटन स्थलों में भी नई सुविधाएं बन और पुरानी परंपराएं जीवंत हो रही हैं। सांस्कृतिक धरोहरें संवारी जा रही हैं। प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से योगी सरकार विधानसभा चुनाव भगवा एजेंडे के इन्हीं कार्यो को आगे रखकर लड़ने जा रही है। यह उसका घोषित एजेंडा भी है। लेकिन, विपक्ष इनकी काट खोजने के बजाय खुद भी इसी भगवा पिच पर चुनावी खेल खेलने को आतुर दिख रहा है।
बसपा नेता सतीश चंद्र मिश्र ने बिकरू कांड के एक आरोपित का मुकदमा खुद लड़ने का एलान करने के बाद पिछले हफ्ते ब्राह्मणों को जोड़ने के लिए अयोध्या से अभियान की शुरुआत की। हालांकि इसका औपचारिक नाम प्रबुद्ध वर्ग गोष्ठी रखा गया था। प्रतीकवादी इस पार्टी के महासचिव ने ट्विटर पर जो पोस्टर जारी किया उसमें नीला रंग तो नाममात्र था, भगवा रंग ही सर्वाधिक उभरकर आया। ब्राह्मणों को रिझाना उद्देश्य था, इसलिए परशुराम का चित्र तो रखा ही गया, लेकिन रामलला भी बैकग्राउंड में नजर आए और मंदिर का प्रस्तावित माडल भी। यही नहीं, इससे पहले रामलला और हनुमानगढ़ी में दर्शन भी किए। अतीत में तिलक, तराजू और तलवार का नारा इसी पार्टी के साथ जोड़ा जाता रहा है।
अहम बात यह है कि समाजवादी और बहुजन समाज पार्टी जिस मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण के बिना कभी सत्ता तक नहीं पहुंच सकीं, आजकल वह इनके मामले में पूरी तरह मौन हैं। बसपा महासचिव सतीश चंद्र मिश्र एक ट्वीट में सत्ता समीकरण यूं समझाते हैं, ‘सत्ता की चाबी ब्राह्मण 13 फीसद व दलित 23 फीसद के हाथ में है।’ पहले यह पार्टी दलित, ब्राह्मण के साथ मुस्लिम वोटों का प्रतिशत भी बताया करती थी। समाजवादी पार्टी जिस तरह आजम खां से मुंह फेर कर बैठी है उसमें भी उसकी यही मजबूरी दिखती है।