अमरीश पुरी: इस मेकअप मैन और टेलर ने रचा मोगैंबो का डरावना तिलिस्म, बोनी कपूर ने साझा की अनमोल यादें



जब भी कहीं अभिनेता अमरीश पुरी के नाम की चर्चा होती है तो उनका एक किरदार जरूर लोगों के जेहन में आता है, और वह है ‘मोगैंबो’। रेडियो नाटकों से अपनी आवाज का देश दुनिया में रुतबा कायम करने वाले अमरीश पुरी को रंगमंच की दुनिया में भी बहुत रुआब हासिल रहा। अपने पिता सुरिंदर कपूर का फिल्म निर्माण कारोबार संभालने के लिए बोनी कपूर ने जिस फिल्म ‘हम पांच’ से फिल्म निर्माण में कदम रखा, अमरीश पुरी उस फिल्म के मेन विलेन थे। दोनों की दोस्ती की अगला पड़ाव बनी शेखर कपूर के निर्देशन में बनी फिल्म ‘मिस्टर इंडिया’। इस फिल्म के लिए अनुपम खेर ने भी ऑडीशन दिया था लेकिन निर्माता बोनी कपूर का वोट गया था अमरीश पुरी के पक्ष में।
बोनी कपूर बताते हैं, ‘वह समय ऐसा था जब प्राण साहब और प्रेम नाथ हिंदी फिल्मों में खलनायकों की भूमिका निभाने के लिए जाने जाते थे। अमरीश जी उस समय रंगमंच के कलाकार थे और बहुत से नाटकों में काम करने के साथ खूब सराहना पा चुके थे। लेकिन, अभी तक उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में जगह नहीं मिली थी।’ फिल्म ‘हम पांच’ में वह निर्देशक बापू की सिफारिश पर आए थे। इस फिल्म के लिए अमरीश पुरी को 40 हजार रुपये मिले थे। बोनी कहते हैं, ‘मैंने तब उनसे कहा कि अगर यह फिल्म हिट हुई तो मैं अमरीश पुरी को 10 हजार रुपये बोनस के तौर पर और दूंगा और हुआ भी ऐसा ही।’
जब बोनी कपूर ने अमरीश पुरी को ‘हम पांच’ के लिए साइन किया था, उस वक्त उन्होंने अमरीश पुरी को बता दिया था कि वह आने वाले समय में बहुत बड़े खलनायक बनने वाले हैं। जब फिल्म की शूटिंग चल रही थी उस वक्त सिर्फ प्राण और प्रेमनाथ ही ऐसे खलनायक थे जो एक फिल्म के लिए ढाई से तीन लाख रुपये तक लेते थे। इस फिल्म के बाद से ही अमरीश पुरी के दाम भी बढ़ना शुरू हो गए थे। बोनी ने कहा, ‘हम पांच के लिए अमरीश जी ने बापू के कहे अनुसार उस किरदार की सभी बारीकियां समझीं और सारी तैयारियां खुद से ही कीं। फिल्म में जो लाल शॉल उन्होंने ओढ़ी है, वह फिल्म पोंगा पंडित से प्रेरित थी। जबकि इस शॉल पर बना सूरज का चित्र ताकत का प्रतीक था। अमरीश जी का मानना था कि यह किरदार में और गहराई लाएगा।’
जब ‘मिस्टर इंडिया’ में मोगैंबो के किरदार के लिए कास्टिंग चल रही थी, उस वक्त निर्माताओं को किसी ऐसे किरदार की तलाश थी जो ‘शोले’ के गब्बर और ‘शान’ के शाकाल की तरह अपना तिलिस्म स्थापित कर सके। इस किरदार के लिए दो महीने तक ऑडिशन चले लेकिन जावेद अख्तर के लिखे इस किरदार को कोई कलाकार नहीं मिला। अंत में निर्माता बोनी कपूर, निर्देशक शेखर कपूर और लेखक जावेद अख्तर की सहमति अमरीश पुरी पर ही बनी।