23 November, 2024 (Saturday)

अफगानिस्तान के हालातों पर अशरफ गनी से मिलेंगे बाइडन, आतंकियों को देश से खदेड़ने पर होगी चर्चा

अमेरिकी राष्ट्रपति शुक्रवार को अफगान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के साथ मुलाकात करने जा रहे हैं। व्हाइट हाउस ने बताया कि इस मुलाकात के दौरान दोनों नेता यह सुनिश्चित करने के तरीकों पर चर्चा करेंगे कि अफगानिस्तान फिर से आतंकवादी समूहों के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह न बने।

व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी जेन साकी ने पत्रकारों से सोमवार को कहा कि इस मुलाकात के दौरान इस बात पर भी चर्चा होगी कि वे मानवीय सहायता को लागू करने के लिए एक साथ कैसे काम कर सकते हैं। अमेरिका भले ही अफगानिस्तान से अपनी सेना को वापस बुला रहा है लेकिन उसकी तरफ से किए गए अन्य मदद के वादों को पूरा करने के लिए वह प्रतिबद्ध है और इस पर भी मुलाकात के दौरान चर्चा होगी।

बाइडन और गनी के बीच यह उच्च स्तरीय बैठक अफगानिस्तान में बेकाबू हो रहे हालातों के बीच होने जा रही है। तालिबान विद्रोहियों ने हाल के हफ्तों में अफगानिस्तान के दर्जनों जिलों पर अपना कब्जा कर लिया है। कहा जा रहा है कि इस दौरान दोनों पक्षों को ही भारी नुकसान हुआ है। अफगान सुरक्षा बलों और तालिबान आतंकियों के बीच जारी संघर्ष में वृद्धि ने काबुल और विद्रोहियों के बीच अमेरिका की मध्यस्थता वाली शांति वार्ता को नए सिरे से झटका दिया है।

बता दें कि फरवरी, 2020 समझौते के तहत अमेरिकी सेना की अफगानिस्तान से वापसी शुरू हो गई है जो कि 11 सितंबर तक पूरी हो जाएगी। अप्रैल में, राष्ट्रपति बाइडन ने घोषणा की थी कि अमेरिका 11 सितंबर को आतंकी हमलों की 20 वीं वर्षगांठ तक अफगानिस्तान से सभी शेष सैनिकों को वापस बुला लेगा। एक घातक संघर्ष को समाप्त करने के प्रयास में यह कमद उठाया गया था। इस संघर्ष में खरबों डॉलर खर्च हुए थे और 2,300 से अधिक अमेरिकी सैनिकों की जान चली गई थी। बाइडन ने स्पष्ट किया कि अफगानिस्तान में सतत सैन्य रणनीति ज्यादा लंबे समय तक नहीं चल सकेगी।

बाइडन की घोषणा के जवाब में अफगान राष्ट्रपति गनी ने कहा कि वो इस साल सितंबर तक अपने सैनिकों को वापस बुलाने के अमेरिका के फैसले का सम्मान करते हैं। गनी ने बताया कि अफगानिस्तान के राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा बल फरवरी 2020 के यूएस-तालिबान समझौते के बाद से लोगों और देश की रक्षा के लिए स्वतंत्र रूप से अधिकांश ऑपरेशन कर रहे हैं। उन्होंने अप्रैल में एक बयान में कहा था, ‘हमारी सेना मौजूदा खतरों के खिलाफ अफगानिस्तान की रक्षा करने में सक्षम है।’

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