अफगानिस्तान में अपनी काली करतूतों से हाथ पोंछ रहा पाकिस्तान, कहा- हमें न दें दोष, ये उनका आंतरिक मसला
पाकिस्तान अफगानिस्तान में अंजाम दी गई अपनी करतूतों से मुंह मोड़ने की कोशिश में लगा हुआ है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और उनके दूसरे मंत्रियों के बाद अब अमेरिका में तैनात उसके राजदूत ने भी इसको लेकर सफाई देने की कोशिश की है। असद माजिद खान ने कहा है कि अफगानिस्तान में मिली विफलता के लिए पाकिस्तान को दोष देना बंद होना चाहिए। अपने एक ट्वीट में उन्होंने कहा कि इस विफलता के लिए खुद अफगानिस्तान जिम्मेदार है। माजिद ने कहा है कि अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति पाकिस्तान आर्मी की कोई रणनीति के तहत नहीं हुई है बल्कि ये उसकी अपनी आतंरिक समस्या है। इसकी वजह से अफगानिस्तान की पूर्व सरकार गिर गई है।
पाकिस्तान के राजदूत ने ये बयान अमेरिका के रिपब्लिकन सांसद माइकल जी वाल्ट्ज के उस उस पत्र के जवाब में दिया है जिसमें उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से पाकिस्तान के खिलाफ प्रतिबंध लगाने की अपील की थी। उनका आरोप था कि पाकिस्तान की वजह से ही अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी हुई है। अपने पत्र में उन्होंने इमरान खान सरकार पर सीधा आरोप लगाया था कि सरकार और सेना ने तालिबान की काबुल पर कब्जे में पूरी मदद की। इसलिए इसके खिलाफ सख्त प्रतिबंध लगाने की जरूरत है। उन्होंने इस बात का भी अंदेशा जताया था कि तालिबान के अफगानिस्तान में आने के बाद ये धरती पाकिस्तान के साथ मिलकर आतंकियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बन जाएगी।
इसके जवाब में माजिद ने अपने पत्र में लिखा है कि अफगानिस्तान के मुद्दे पर पाकिस्तान को बदनाम करने की कोशिश न की जाए। जिस अफगानिस्तान की विफलता में पाकिस्तान को आरोपी बनाया जा रहा है उसकी सेना में करीब तीन लाख जवान शामिल थे। इन्होंने तालिबान के आगे घुटने टेक दिए। अफगानिस्तान की विफलता के लिए अमेरिका को भी अपनी गिरेबान में झांककर देखना चाहिए। उनके मुताबिक इसके लिए अफगान आर्मी के वो जवान सीधेतौर पर जिम्मेदार हैं जिन्होंने पैसे लेकर हथियार रख दिए। इसके अलावा अफगान सरकार और उनके नेता भी जिम्मेदार हैं, जिन्होंने देश को मुश्किल हालातों में झोंक दिया।
अपने पत्र में माजिद ने लिखा है कि अफगानिस्तान की बेहतरी के लिए पाकिस्तान अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर काम कर रहा है। वो भी अफगानिस्तान का राजनीतिक समाधान की कोशिश में लगा है। हम दोनों के ही सिद्धांत इस मुद्दे पर एक जैसे ही हैं कि अफगानिस्तान को किसी भी सूरत से आतंकियों का गढ़ नहीं बनने देना है। पाकिस्तान सरकार हमेशा से ही अफगानियों के हितों के लिए काम करती रही है। पाकिस्तान ने बार-बार दोनों ही तरफ से सीजफायर करने की अपील की थी, लेकिन ये दुर्भाग्य की बात है कि दोनों ने ही पाकिस्तान को नजरअंदाज किया और इस सलाह को नहीं माना।