02 November, 2024 (Saturday)

अफगानिस्तान को मानवीय सहायता पर विश्व समुदाय में बुनियादी सहमति : जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर (EAM S Jaishankar) ने शुक्रवार को कहा कि निकटतम पड़ोसी के रूप में भारत अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर ‘बहुत चिंतित’ है और 15 अगस्त को काबुल में जो हुआ वह वास्तव में ‘भरोसे का टूटना’ था। तालिबान (Taliban) ने 15 अगस्त को अफगानिस्तान (Afghanistan) में सत्ता पर नियंत्रण स्थापित कर लिया था।

‘फिक्की’ में एक संवाद सत्र में विदेश मंत्री ने कहा कि विश्व समुदाय अफगान लोगों को मानवीय सहायता देने पर एक बुनियादी सहमति पर पहुंच गया है तथा एक अधिक समावेशी सरकार के लिए दबाव भी बना रहा है। विदेश मंत्री ने पिछले 25 वर्षों  में भारत द्वारा हस्ताक्षरित मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) पर भी बात की और कहा कि उनमें से कुछ ने भारतीय व्यवसायों को पर्याप्त लाभ नहीं दिया। पूर्वी लद्दाख में सीमा पर गतिरोध के संबंध में जयशंकर ने कहा कि यह गतिरोध चीन द्वारा ‘समझौतों’ का पालन नहीं करने और ‘समझौते का उल्लंघन करने वाले’ के तौर पर कार्य करने का परिणाम था।

अफगानिस्तान के बारे में विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा के दूसरे कार्यकाल के बाद से यह साफ हो गया था कि अमेरिका युद्धग्रस्त देश से पीछे हट जाएगा। उन्होंने कहा कि एक स्तर पर यह आश्चर्य की बात नहीं थी लेकिन इस मामले में जिस तरह दोहा में वार्ताओं का दौर चला और जमीनी स्तर पर उनका क्रियान्वयन हुआ वह चिंता का विषय है।

पाकिस्तान की अफगानिस्तान को आर्थिक सहायता देने की अपील की

इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआइसी) की अहम बैठक से पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अफगानिस्तान को आर्थिक और मानवीय सहायता देने की अपील की है। उनका कहना है कि अगर वक्त रहते यह कदम नहीं उठाया गया तो विश्व के आतंकी संगठन इसका फायदा उठा सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि रविवार को ओआइसी के 24 देशों के विदेश मंत्रियों की एक अहम बैठक होने वाली है। इससे पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी कहना है कि अगर मानवीय सहायता नहीं दी गई तो बीस सालों की मेहनत पर पानी फिर जाएगा। कुरैशी ने चेतावनी देते हुए कहा कि आतंकवादी संगठन अफगानिस्तान में वित्तीय संस्थानों के कमजोर पड़ने का फायदा उठा लेंगे। अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि भी वहां मौजूद हैं, लेकिन सहायता देने को लेकर विशेष प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।

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