एग्जिट पोल के रिजल्ट पर भरोसा करें तो बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी की मेहनत रंग लाती दिख रही है.
कोलकाता. लोकसभा चुनाव-2024 के लिए मतदान प्रक्रिया संपन्न होने के बाद ही अब हर किसी की नजरें रिजल्ट पर टिकी हैं. चुनाव परिणाम आने से पहले एग्जिट पोल के रिजल्ट्स सामने आ चुके हैं. इसमें लगातार तीसरी बार बीजेपी की अगुआई में NDA की सरकार बनती दिख रही है. एग्जिट पोल के नतीजों को मानें तो बीजेपी अपने दम पर भी सरकार बनाने में सक्षम हो जाएगी. इस बार के लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल सबसे ज्यादा चर्चा में रहा. भाजपा के दिग्गज नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा आदि ने तूफानी दौरा कर चुनाव प्रचार किया था. वहीं, बंगाल भाजपा के वरिष्ठ नेता सुवेंदु अधिकारी ने हर लोकसभा क्षेत्र में जाकर चुनाव प्रचार किया. दूसरी तरफ, संदेशखाली की घटना पर भी जमकर राजनीति हुई. एग्जिट पोल के नतीजों में इन सबका असर पड़ता दिख रहा है. बीजेपी की सीटें इस बार जहां बढ़ने की संभावना है तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी साल 2019 के चुनाव के मुकाबले सिमट सकती है. पश्चिम बंगाल में लोकसभा की 42 सीटें हैं.
सुवेंदु अधिकारी की मेहनत रंग लाती दिख रही है. विभिन्न मीडिया संगठनों की ओर से जारी एग्जिट पोल के नतीजों से फिलहाल यही लग रहा है. औसतन हर एग्जिट पोल में बीजेपी पश्चिम बंगाल में गेन करती दिख रही है. पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को 18 सीटें मिली थीं, जबकि ममता बनर्जी की TMC के खाते में 22 सीटें गई थीं. वहीं, कांग्रेस 2 सीट जीत पाई थी. एग्जिट पोल के रिजल्ट्स के अनुसार, इस बार बीजेपी अपनी 18 की टैली को बढ़ाकर 26 तक पहुंचा सकती है, वहीं TMC 17 से 21 सीटों पर जीत हासिल कर सकती है. ऐसे में इस बार ममता के मां-माटी-मानुष को झटका लग सकता है. हालांकि, TMC ने एग्जिट पोल के आंकड़ों को खारिज करते हुए कहा कि उसे चुनाव और परिणाम पर भरोसा है.
सुवेंदु अधिकारी और संदेशखाली
पश्चिम बंगाल में इस बार दो चीजें छाई रहीं- भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी और संदेशखाली. संदेशखाली में तृणमूल नेता (अब निष्कासित) द्वारा महिलाओं के शोषण और जमीन हड़पने के आरोपों से जुड़े मुद्दे ने प्रदेश के साथ ही पूरे देश में सुर्खियां बटोरीं. भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने इस मुद्दे को हाथ से जाने नहीं दिया. उन्होंने इसको लेकर लगातार ममता सरकार पर हमलावर रहे. आखिरकार इसे राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया. स्थिति यह हो गई कि ममता बनर्जी की सरकार को मजबूरन अपने नेता के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ी. संदेशखाली और सुवेंदु अधिकारी के आक्रामक रवैये ने ममता सरकार को बैकफुट पर ला दिया. एग्जिट पोल के नतीजों में इसका असर पड़ता दिख रहा है. संदेशखाली के मुद्दे ने ममता बनर्जी के मां-माटी-मानुष के नारे को काफी हद तक तोड़ने में सफलता हासिल की है.
अभिषेक बनर्जी का क्या होगा?
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी एक बार फिर से लोकसभा चुनाव मैदान में हैं. वह डायमंड हार्बर सीट से तृणमूल कांग्रेस के प्रत्याशी हैं. उनका मुकाबला भाजपा के अभिजित दास से है. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में अभिषेक बनर्जी ने इस सीट पर जीत हासिल की थी. उन्होंने भाजपा के नीलांजन रॉय को मात दी थी. बता दें कि बीजेपी प्रत्याशी को यहां तकरीबन पौने पांच लाख मत हासिल हुआ था. बीजेपी ने इस बार यहां से अपना प्रत्याशी बदला है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बार भाइपो यानी कि अभिषेक बनर्जी इस बार डायमंड हार्बर सीट को बचा पाते हैं या नहीं.