23 November, 2024 (Saturday)

होलिका दहन के समय इन बातों का रखें ध्यान

सनातन धर्म में व्रत और त्योहारों को विशेष विधि विधान से मनाया जाता है. प्रमुख त्योहारों में एक होली का पर्व 25 मार्च को मनाया जाएगा. वहीं एक दिन पहले यानी 24 मार्च फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के रात्रि में होलिका दहन की जाती है. होलिका दहन के दिन होलिका की पूजा की जाती है. मान्यता है कि होलिका की पूजा करते समय कुछ सामग्रियों को अर्पित किया जाता है. पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि होलिका दहन विशुद्ध रूप से पूजन करके करना चाहिए. भगवान गणेश जी, भगवान नरसिंह का आवाहन पूजन करने के पश्चात होलिका दहन किया जाता है.

होलिका दहन प्राचीन प्रथा परंपरा के अनुसार, केवल लकड़ी और कंडे से करना चाहिए. किसी भी प्रकार का कचरा और टायर का उपयोग नहीं करना चाहिए. होलिका दहन के पहले पूजा कर परिक्रमा करते समय मंत्रोच्चार करना चाहिए ताकि घर में सुख शांति बनी रही. इसके लिए भगवान नरसिंह जी से प्रार्थना करना चाहिए.संभव हो तो हर व्यक्ति को कम से कम 10 नग कपूर का टुकड़ा डालना चाहिए ताकि कपूर के जलने से हमारा वातावरण शुद्ध हो सके और प्रत्यक्ष लाभ हमें मिल सके.

होलिका दहन के पहले ऐसे की जाती है पूजा
पंडित मनोज शुक्ला ने आगे बताया कि होलिका दहन के पहले चयनित स्थान पर कलश स्थापना कर गौरी गणेश की पूजा की जाती है.फिर भगवान नरसिंह की पूजा करते हैं. उसके बाद अपनी प्रथा परंपरा के अनुसार होलिका दहन करते हैं. छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में आज भी चकमक पत्थर से आग जलाई जाती है. वही राजधानी रायपुर के प्रतिष्ठित महामाया देवी मंदिर के गर्भगृह में प्रज्वलित हो रही अखंड ज्योति के माध्यम से पूजा करने के बाद होलिका दहन किया जाता है.

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