लक्ष्मी विलास बैंक पर एक महीने के लिए मोरटोरियम, NPA का बोझ पड़ा भारी
केंद्र सरकार ने संकटग्रस्त लक्ष्मी विलास बैंक पर मोरेटोरियम लगाए जाने को मंजूरी दे दी है। अगले एक महीने तक खाताधारक विशेष जरूरतों को छोड़कर 25 हजार रुपये से ज्यादा नहीं निकाल पाएंगे। आरबीआई की तरफ से इसका विलय सिंगापुर की डीबीएस बैंक में करने का ड्राफ्ट जारी किया है।
वित्त मंत्रालय की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक बैंक पर यह पाबंदी 16 दिसंबर 2020 तक के लिए लगाई गई है। इससे पहले यस बैंक और पंजाब महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक के मामले में भी इसी तरह का कदम उठाया गया था। यह कदम बैंकिंग रेग्युलेशन एक्ट की धारा 45 के तहत आरबीआई की ओर से आवेदन के आधार उठाया गया है। मोरटोरियम लागू रहने तक जमाकर्ता को बैंक 25 हजार रुपए से अधिक का पेमेंट नहीं कर सकता है, जब तक रिजर्व बैंक की ओर से कोई लिखित आदेश ना हो। वित्तीय हालात बिगड़ते देख रिजर्व बैंक ने लक्ष्मी विलास बैंक के डीबीएस बैंक में विलय का प्रस्ताव भी रखा है। इससे जुड़ा ड्राफ्ट पब्लिक डोमेन में सुझावों और आपत्तियों के लिए भी रखा है। रिजर्व बैंक ने इस प्रस्ताव पर सदस्यों, जमाकर्ताओं, लक्ष्मी विलास बैंक और डीबीएस बैंक के क्रेडिटर्स से सुझाव और आपत्ति दर्ज कराने को कहा है।
इन शर्तों पर ज्यादा निकासी की छूट
लक्ष्मी विलास बैंक से निकासी सीमा पर वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कुछ खास शर्तों जैसे इलाज, उच्च शिक्षा के लिए फीस जमा करने और शादी आदि के लिए जमाकर्ता रिजर्व बैंक की अनुमति से 25 हजार रुपये से अधिक की निकासी भी कर सकेंगे। रिजर्व बैंक की अनुशंसा पर यह कदम उठाया गया है।
यस बैंक से ऐसे अलग है मामला
लक्ष्मी विलास बैंक पर लागू किया गया मोरेटोरियम यस बैंक से अलग है। विशेषज्ञों का कहना है कि यस बैंक के रीकंस्ट्रक्शन के लिए मोरेटोरियम लागू किया गया था लेकिन लक्ष्मी विलास बैंक के मामले में रिजर्व बैंक ने दबाव बनाकर उसका विलय डीबीएस बैंक के साथ कराने का ऐलान किया है। इसके अलावा यस बैंक के मुख्य कार्यकारी को आरबीआई द्वारा नियुक्त समिति की निगरानी में काम करने के निर्देश दिए गए थे। जबकि लक्ष्मी विलास बैंक को तुरंत प्रभाव से रिजर्व बैंक की समिति ने नियंत्रण में ले लिया है।
पीएमसी बैंक को नहीं भूले हैं लोग
महाराष्ट्र एवं पंजाब कोऑपरेटिव बैंक (पीएमसी बैंक) महाराष्ट्र स्थित सहकारी बैंक है। डीएचएफएल को तय मानक से अधिक कर्ज देकर पीएमसी बैंक डूबने के कगार पर पहुंच गया। वह डीएचएफएल को दिया गया कर्ज वह पीएमसी वसूल नहीं सकी। शुरुआत में पीएमसी बैंक के ग्राहकों के लिए निकासी सीमा एक हजार रुपये थी जिसे बढ़ाकर बाद में 50 हजार रुपये कर दिया गया था।
इसलिए अहम है फैसला
बढ़ते एनपीए के कारण बैंक को प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) फ्रेमवर्क में डाला गया था उसी समय से रिजर्व बैंक की पैनी नजर लक्ष्मी विलास बैंक थी। लगातार दो साल तक नकदी की कमी और निगेटिव रिटर्न के कारण बैंक को पीसीए फ्रेमवर्क में डाला गया था। इसके अलावा आरबीआई ने अक्तूबर 2019 में इंडिया बुल्स हाउसिंग फाइनेंस के साथ इसके विलय को रोक दिया था। इसके बाद सितंबर 2020 में नाराज शेयरहोल्डर्स ने बैठक में सभी सात निदेशकों की दोबारा नियुक्ती खारिज कर दी थी। इनमें बैंक के एमडी-सीईओ एस.सुंदर भी शामिल थे। ऐसा शायद ही कभी हुआ हो जब आरबीआई की तरफ से नियुक्त सीईओ को शेयरधारकों ने बाहर कर दिया हो। पिछले कुछ दिनों से यह खबर आ रही थी कि लक्ष्मी