14 November, 2024 (Thursday)

ज्ञानवापी प्रकरण : वाद की पोषणीयता पर जिला जज ने सुनवाई शुरु की

उत्तर प्रदेश में वाराणसी की जिला अदालत में ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण में गुरुवार को इस मुद्दे पर सुनवाई आरंभ हुयी है कि हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल वाद पर सुनवाई हो सकती है या नहीं।

मस्जिद इंतजामिया कमेटी के वकील अभय नाथ यादव ने अपनी जिरह शुरू करते हुए कहा कि 1991 के धार्मिक स्थल विशेष प्रावधान कानून के प्रकाश में इस वाद पर सुनवाई नहीं हो सकती है। मस्जिद पक्ष के वकील की जिरह पूरी नहीं हो सकी है तथा यह सुनवाई की अगली तिथि 30 मई को भी जारी रहेगी।

सुनवाई के दौरान श्रृंगार गौरी पूजा स्थल का नियमित रूप से दर्शन पूजन करने के लिये दाखिल की गयी याचिका के वादी वकील ने मुस्लिम पक्ष की दलीलों का विरोध किया। उन्होंने कहा कि वाद की सुनवाई के लिये पर्याप्त आधार है। वकील की ओर से इस संबंध में दलीलें भी दी गयीं।

जिला एवं सत्र न्यायाधीश डा अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में वकीलों ने करीब दो घंटे तक इस मुद्दे पर दलीलें दी कि वर्ष 1991 के धार्मिक स्थल विशेष प्रावधान कानून के प्रकाश में इस वाद पर सुनवाई हो सकती है या नहीं। मस्जिद पक्ष के वकील अभय नाथ यादव का तर्क था कि धार्मिक स्थल विशेष प्रावधान कानून वाद की सुनवाई करने की अनुमति नहीं देता है। इसलिये, मस्जिद परिसर में श्रृंगार गौरी सहित विभिन्न पूजा स्थलों पर दर्शन पूजन करने की अनुमति मांगने वाली याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकती है।

उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने उसके समक्षा दाखिल विशेष अनुमति याचिका के संबंध में जिला न्यायाधीश को निर्देश दिया था कि वह वाद की सुनवाई करने या न करने (पोषणीयता) के बारे में प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई करे। मस्जिद इंतजामिया कमेटी ने सिविल प्रक्रिया संहिता आदेश 07 नियम 11 के तहत वाद पर सुनवाई न करने का आवेदन दिया। उच्चतम न्यायालय के निर्देश के अनुरूप जिला न्यायाधीश ने सबसे पहले आदेश 07 नियम 11 के तहत इस आवेदन पर सुनवाई करने का फैसला किया था। साथ ही ज्ञानवापी परिसर की वीडियाेग्राफी सर्वे रिपोर्ट पर आपत्तियां दाखिल करने के लिये संबंधित पक्षों को एक सप्ताह का समय दिया था।

आज सुनवाई के दौरान सर्वे के लिये नियुक्त विशेष एडवोकेट कमिश्नर विशाल सिंह भी अदालत में आये। विशाल सिंह ने सर्वे के दूसरे चरण की रिपोर्ट अदालत में पेश की थी। इसके साथ ही सर्वे की पहले चरण की रिपोर्ट भी अदालत के सामने है जिसे तत्कालीन एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा ने तैयार किया था।

कमेटी के वकील अभय नाथ यादव ने कहा कि परिसर में शिवलिंग मिलने की बात भ्रामक है। यह वास्तव में फव्वारा है। उन्होंने कहा कि मस्जिद में शिवलिंग की बात कह कर लोगों की भावनाओं को भड़काने का प्रयास किया जा रहा है।

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