‘आरबीआई जून में चौथाई फीसद बढ़ा सकता है रेपो रेट’, एसबीआई की रिपोर्ट में अनुमान
एसबीआई की इकोरैप रिपोर्ट में कहा गया कि ‘भारतीय रिजर्व बैंक ग्रोथ के मुकाबले मुद्रास्फीति को प्राथमिकता पर रखते हुए जून में रेपो दर में कम से कम 25 (चौथाई फीसद) की बढ़ोतरी कर सकता है।’ गौरतलब है कि पिछले हफ्ते घोषित अपनी मौद्रिक नीति में आरबीआई ने रेपो दर को 4 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा था। छह-सदस्यीय मौद्रिक पैनल ने अकोमोडेटिव रहने का निर्णय लिया था। रिपोर्ट में कहा गया, “अब हम जून और अगस्त में दर में 25 आधार अंकों (बीपीएस) की बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहे हैं।” इसमें कहा गया कि ब्याज दर सख्त होने के साथ 75 आधार अंकों की संचयी वृद्धि की उम्मीद है।
उपभोक्ता मूल्य-आधारित सूचकांक (सीपीआई) द्वारा मापी गई खुदरा मुद्रास्फीति, मार्च 2022 में वार्षिक आधार पर 6.95 प्रतिशत हो गई, जबकि फरवरी 2022 में यह 6.07 प्रतिशत थी। मुख्य रूप से खाद्य कीमतों में वृद्धि के कारण महंगाई का आंकड़ा बढ़ा है। इसके अलावा रूस-यूक्रेन संघर्ष ने मुद्रास्फीति को काफी प्रभावित किया है। मार्च 2022 के मुद्रास्फीति के आंकड़ों से पता चलता है कि गेहूं, प्रोटीन आइटम (विशेष रूप से चिकन), दूध, रिफाइंड तेल, आलू, मिर्च, मिट्टी का तेल, सोना और एलपीजी का मुद्रास्फीति में समग्र योगदान रहा है।
यूक्रेन में संघर्ष ने चिकन की कीमतों को अचानक बढ़ा दिया है क्योंकि यूक्रेन से चिकन का आयात बाधित हो रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यूक्रेन से सूरजमुखी तेल की आपूर्ति पर दबाव के कारण इंडोनेशिया से निर्यात नीति में बदलाव आया है, जिससे पाम तेल का आयात कम हुआ है।
WPI और CPI खाद्य मुद्रास्फीति के बीच एक बड़ा अंतर था, जिसमें WPI खाद्य कीमतें CPI खाद्य कीमतों से अधिक थीं, जो कीमतों के अपूर्ण पास-थ्रू का संकेत देती थीं। जनवरी 2022 में यह अंतर 4.7 प्रतिशत था और अब यह घटकर 2.3 प्रतिशत हो गया है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि सितंबर तक मुद्रास्फीति के 7 प्रतिशत से अधिक रहने की संभावना है। हालांकि, सितंबर के बाद मुद्रास्फीति 6.5 से 7 प्रतिशत की सीमा में हो सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है, “हमारा वित्त वर्ष 23 का मुद्रास्फीति पूर्वानुमान अब 6.5 प्रतिशत के करीब है।”