मंत्रिमंडल की जल आपूर्ति एवं स्वच्छता विभाग में विभिन्न श्रेणियों के 145 पद भरने को मंजूरी



चंडीगढ़, 13 अप्रैल (वार्ता) पंंजाब मंत्रिमंडल ने जलापूर्ति एवं स्वच्छता विभाग के कामकाज को सुचारू ढंग से चलाने और बेहतर ग्रामीण जलापूर्ति मुहैया करवाने के लिए विभिन्न श्रेणियों (25 उप मंडल इंजीनियर, 70 जूनियर इंजीनियर, 30 जूनियर ड्राफ्ट्समैन और 20 स्टेनो टाईपिस्ट) के 145 पद भरने को बुधवार को मंजूरी दे दी ।
इन पदों के लिए एक साल के अंदर पंजाब लोक सेवा आयोग और अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड द्वारा सीधी भर्ती की जाएगी। इस आशय का निर्णय मुख्यमंत्री भगवंत मान की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया। वर्ष 2021 में जल आपूर्ति एवं स्वच्छता विभाग में उपरोक्त श्रेणियों के 88 पद भरने की मंजूरी दी गई थी।
इनके अलावा बैठक में आज 57 अन्य पद भरने को मंजूरी दे दी । इन श्रेणियों के पद साल 2022 में अधिकारियों/कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति/पदोन्नति के कारण खाली पड़े हैं।
ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड सेवाएं प्रदान करने के लिए मौजूदा भारतनेट के बुनियादी ढांचे को अपग्रेड करने के लिए मंजूरी दी गई । दूरसंचार विभाग, भारत सरकार और राज्य सरकार के बीच अप्रैल 2013 में किए गए समझौता ज्ञापन के अनुसार भारतनेट स्कीम के अंतर्गत सभी ग्राम पंचायतों को राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड नेटवर्क से जोड़ने के लिए मौजूदा भारतनेट बुनियादी ढांचे को अपग्रेड करने में मदद करने के लिए मंजूरी दी।
राज्य सरकार एक मानक नेटवर्क बुनियादी ढांचा स्थापित करके ग्रामीण क्षेत्रों में ई-गवर्नेंस, ई-स्वास्थ्य, ई-शिक्षा, ई-बैंकिंग, इन्टरनेट और अन्य सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो बिना किसी भेदभाव के आधार पर सुलभ है। यह सभी घरों और संस्थाओं के लिए ऑन-डिमांड किफ़ायती ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी की व्यवस्था को सक्षम करेगा और भारत सरकार के साथ साझेदारी में, डिजिटल पंजाब के विजऩ को साकार करने में सहायता करेगा।
अन्य फैसले में ग्रामीण बुनियादी ढांचे को मज़बूत बनाने और किसानों के लिए आधुनिक खरीद प्रणाली लागू करने के उद्देश्य से पंजाब ग्रामीण विकास (संशोधन) अध्यादेश-2022 को मंजूरी दे दी। केन्द्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग द्वारा 24 फरवरी, 2020 को निर्धारित संशोधित नियमों के अनुरूप पंजाब ग्रामीण विकास अधिनियम-1987 में संशोधित किया गया है।
ज्ञातव्य है कि भारत सरकार ने 23 अक्टूबर, 2020 को अपने पत्र के द्वारा खरीफ की फ़सल के मंडीकरण सीजन (के.एम.एस.), 2020 के लिए अस्थायी लागत शीट (पी.सी.एस.) भेजी थी, जिसमें आधिकारित बकाए के तौर पर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ग्रामीण विकास फंड (आर.डी.एफ.) की तीन प्रतिशत दर को शामिल नहीं किया गया था। पी.सी.एस. के मुताबिक ‘‘राज्य द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य से कटौतियों से सम्बन्धित मामले और खरीद केंद्र के विकास के उद्देश्य के लिए ग्रामीण विकास फीस का प्रयोग जांच अधीन है।