सीए, सीएस के लिए खुल सकेंगे नए विश्वस्तरीय संस्थान, बिल पर संसद की मुहर
देश में आने वाले दिनों में चार्टर्ड अकाउंटेंट और कंपनी सेक्रेटरी के लिए भी आइआइटी जैसे विश्वस्तरीय संस्थान खुल सकेंगे। इस दिशा में राह बनाने वाले संशोधन विधेयक पर मंगलवार को संसद की मुहर लग गई। राज्यसभा में करीब ढाई घंटे की चर्चा के बाद चार्टर्ड अकाउंटेंट्स, कास्ट एवं वर्क्स अकाउंटेंट्स तथा कंपनी सचिव (संशोधन) विधेयक पारित हुआ। लोकसभा ने इसे 30 मार्च को पारित कर दिया था।
नए संशोधन विधेयक से चार्टर्ड अकाउंटेंट, कंपनी सेक्रेटरी और कास्ट अकाउंटेंट से जुड़े मौजूदा संस्थानों की कार्यप्रणाली में आमूलचूल बदलाव आएगा। विपक्ष का आरोप है कि इस संशोधन विधेयक से मौजूदा संस्थानों की स्वायत्तता प्रभावित होगी। चर्चा के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया कि मौजूदा संस्थानों की स्वायत्तता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, बस उनके कार्यो में पारदर्शिता बढ़ेगी। अनुशासनात्मक प्रक्रिया की गुणवत्ता बढ़ेगी।
अभी चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के लिए इंस्टीट्यूट आफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स आफ इंडिया, कास्ट अकाउंटेंट्स के लिए इंस्टीट्यूट आफ कास्ट अकाउंटेंट्स आफ इंडिया और कंपनी सचिवों के लिए इंस्टीट्यूट आफ कंपनी सेक्रेटरीज आफ इंडिया हैं।
तय होगी सीए की जवाबदेही
वित्त मंत्री ने कहा कि वैश्विक निवेशकों की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए भारत में कारपोरेट गवर्नेस व्यवस्था को मजबूत करने की जरूरत है। सत्यम और आइएलएंडएफएस के घोटालों का उल्लेख करते हुए वित्त मंत्री ने कहा, ‘अपेक्षाओं के अनुरूप काम नहीं करने वाले सीए को लेकर कई बार सवाल उठते रहे हैं। यह कानून भारत में आडिट के मानकों को मजबूत करेगा। आडिट सर्टिफिकेट देने के मामले में जवाबदेही तय हो सकेगी।’
बदलते परिवेश में सख्त नियमन जरूरी
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि स्टार्टअप और छोटे उद्यमियों को बढ़ावा देने की नीति के चलते पिछले कुछ वर्षो में एलएलपी के रूप में कंपनियों का रजिस्ट्रेशन बढ़ा है। इसे देखते हुए सख्त नियमन की जरूरत भी बढ़ी है। संशोधन विधेयक के तहत कारपोरेट मामले मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में को-आर्डिनेशन कमेटी का गठन किया जाएगा। इसमें तीनों संस्थानों के प्रतिनिधि होंगे। किसी तरह के गलत आचरण के मामले में पार्टनर्स और फर्म पर जुर्माना बढ़ाने का भी प्रस्ताव है।
200 बार ध्वनिमत से ली गई मंजूरी
राज्यसभा में इस संशोधन विधेयक को पारित कराने के क्रम में सदन से करीब 200 बार ध्वनिमत से मंजूरी मांगी गयी। इस विधेयक को सदन से पारित कराने के क्रम में 30 मिनट लग गए क्योंकि इसमें 106 उपबंध एवं उपबंध आधारित संशोधनों पर सदन की मंजूरी ली गई। अधिकारियों के अनुसार बहुत समय बाद ऐसा हुआ है कि किसी विधेयक के उपबंधों और उससे जुड़े संशोधनों पर सदन को मंजूरी देने में इतना समय लगा। विधेयक पर माकपा के जान ब्रिटास ने 163 संशोधन दिए थे। भाकपा के विनय विश्वम ने भी कुछ संशोधन दिए थे। सदन ने इन संशोधनों को ध्वनि मत से खारिज कर दिया।