24 November, 2024 (Sunday)

सुप्रीम कोर्ट का निर्देश, ट्राई को स्पेशल टैरिफ का ब्योरा दें टेलीकॉम कंपनियां, पारदर्शिता बनाए रखने के लिए यह जरूरी

सुप्रीम कोर्ट ने सभी टेलीकॉम कंपनियों को अपने स्पेशल टैरिफ और सेग्मेंटेड ऑफर का ब्योरा दूरसंचार नियामक ट्राई से साझा करने का निर्देश दिया है। दूरसंचार टैरिफ के मामले में पारदर्शिता के लिहाज से इसे अहम कदम माना जा रहा है। इसके साथ अदालत ने इन सभी जानकारियों को गोपनीय रखने और किसी कंपनी की जानकारी प्रतिस्पर्धी कंपनी तक नहीं पहुंचने देने की जिम्मेदारी ट्राई को दी।

ट्राई की मांग जायज

मामले में सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने कहा, ‘पारदर्शी, भेदभाव रहित और एकाधिकार विहीन व्यवस्था बनाने के नियामकीय सिद्धांतों के पालन की दिशा में ट्राई ने कंपनियों से जो जानकारियां मांगी हैं, उन्हें प्रथम दृष्टया गैरकानूनी या अन्यायपूर्ण नहीं कहा जा सकता है। इसलिए कंपनियों को ट्राई के समक्ष टैरिफ का पूरा ब्योरा देना होगा।’

एयरटेल और वोडा राजी नहीं

ट्राई ने दूरसंचार कंपनियों से प्लान की पूरी जानकारी देने को कहा था। इसके खिलाफ एयरटेल और वोडाफोन ने अपीलेट ट्रिब्यूनल टीडीसैट के समक्ष याचिका दी थी। कंपनियों का तर्क था कि इस तरह के ऑफर किसी टैरिफ प्लान का हिस्सा नहीं हैं, इसलिए इनकी जानकारी देना जरूरी नहीं है। टीडीसैट ने कंपनियों के हक में फैसला देते हुए कहा था कि ट्राई को कंपनियों से ऐसी जानकारी मांगने का अधिकार नहीं है। रिलायंस जियो इन्फोकॉम और सरकारी टेलीकॉम कंपनियां ट्राई के निर्देश का पालन कर रही हैं।

क्या है स्पेशल टैरिफ?

कई बार कंपनियां दूसरी कंपनी में पोर्ट कराने जा रहे ग्राहकों को अपने साथ बनाए रखने के लिए कुछ डिस्काउंट देती हैं। इन्हें सेग्मेंटेड ऑफर या स्पेशल टैरिफ कहा जाता है। ऐसे ऑफर के तहत बेहतर डाटा स्पीड, प्रेफरेंशियल कस्टमर स्टेटस और ओवर-द-टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म पर एक्सेस जैसी सुविधाएं दी जाती हैं।

भ्रामक शर्तें जारी करने पर लगेगी लगाम 

उल्‍लेखनीय है कि बीते दिनों दूरसंचार नियामक ट्राई ने टेलीकॉम कंपनियों द्वारा टैरिफ योजनाओं के प्रकाशन और विज्ञापन के लिए नए नियम जारी किए थे। ट्राई के नए नियम से ग्राहकों को यह फैसला लेने में मदद मिलेगी कि उनके लिए कौन सा प्लान बेहतर है और उसके तहत उन्हें क्या सुविधाएं मिलने वाली हैं। यही नहीं यदि यह नियम अमल में आता है तो दूरसंचार कंपनियां अब अपने मोबाइल टैरिफ प्लान में अस्पष्ट और भ्रामक शर्ते नहीं रख सकेंगी।

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