सुप्रीम कोर्ट ने कुछ राज्यों के कोरोना से मौत पर अनुग्रह राशि योजना का प्रचार नहीं करने पर नाराजगी जताई
सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना से मौत पर स्वजन को अनुग्रह राशि देने की योजना का कुछ राज्यों द्वारा व्यापक प्रचार नहीं किए जाने पर सोमवार को नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि राज्यों को अखबार में विज्ञापन देकर योजना का व्यापक प्रचार करना चाहिए, ताकि लोगों को इसके बारे में पता चल सके। कोर्ट ने गुजरात सरकार को मंगलवार तक विभिन्न अखबारों में विज्ञापन देकर आनलाइन अर्जी देने के पोर्टल का ब्योरा और शिकायत प्रकोष्ठ की जानकारी का व्यापक प्रचार करने का आदेश दिया। कोर्ट मामले में बुधवार को फिर सुनवाई करेगा। ये आदेश सोमवार को न्यायमूर्ति एमआर शाह की अध्यक्षता वाली पीठ ने गौरव कुमार बंसल की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए।
महाराष्ट्र में 84 हजार में से सिर्फ आठ हजार अर्जियां मंजूर होने पर उठाया सवाल
याचिका में कोरोना से मौत पर स्वजन को अनुग्रह राशि दिए जाने की मांग की गई है। कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने कोरोना से मौत पर 50 हजार रुपये अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है। सुप्रीम कोर्ट आजकल योजना के अनुपालन पर सुनवाई कर रहा है। सोमवार को कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से उसके यहां अनुग्रह राशि दिए जाने का ब्योरा पूछा। राज्य के वकील ने बताया कि अभी तक राज्य सरकार को 84 हजार से ज्यादा अर्जियां प्राप्त हुई हैं, जिनमें से आठ हजार को मंजूरी भी दे दी गई है। कोर्ट ने 84 हजार में से सिर्फ आठ हजार अर्जियां मंजूर होने पर सवाल उठाया। वकील ने कहा कि बाकी को भी जल्दी ही अनुग्रह राशि बांट दी जाएगी। कोर्ट ने महाराष्ट्र से कहा कि वह अर्जियों पर विचार करके एक सप्ताह में भुगतान करे।
कोरोना से मौत पर अनुग्रह राशि योजना का व्यापक प्रचार करें
पीठ ने वकील से पूछा कि क्या राज्य सरकार ने योजना के बारे में अखबार में विज्ञापन दिया था? वकील ने कहा कि 121 अखबारों में विज्ञापन दिया गया था।इसके बाद कोर्ट ने गुजरात का हाल पूछा। गुजरात की ओर से पेश वकील ने कहा कि पहले 10 हजार अर्जियां आई थीं, लेकिन अब 34 हजार अर्जियां प्राप्त हुई हैं। इनमें से 19 हजार को मंजूरी दी जा चुकी है। कोर्ट ने योजना के प्रचार के बारे में सवाल किया। पूछा कि क्या राज्य सरकार ने योजना का व्यापक प्रचार किया है? अखबार में विज्ञापन दिया है? वकील ने कहा कि आल इंडिया रेडियो पर प्रचार किया गया है। पीठ ने कहा कि अखबार में क्यों नहीं दिया। आपको स्थानीय अखबारों सहित विभिन्न समाचार पत्रों में विज्ञापन देना चाहिए। कोर्ट ने अखबार में योजना का प्रचार न किए जाने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि लोग 50 हजार रुपये पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वकील ने कहा कि हम अखबार में भी विज्ञापन देंगे।