रानी मुखर्जी ने पति आदित्य चोपड़ा को लेकर किया खुलासा, कहा, ‘मेरे हसबैंड बहुत प्राइवेट इंसान हैं…’
फिल्म ‘राजा की आएगी बारात’ से अपने फिल्मी करियर का आगाज करने वाली रानी मुखर्जी ने फिल्म इंडस्ट्री में 25 साल का सफर पूरा कर लिया है। अब वह फिल्म ‘बंटी और बबली 2’ में एक बार फिर ठगी करती नजर आएंगी। यह फिल्म वर्ष 2005 में रिलीज हुई फिल्म बंटी और बबली की सीक्वल है। रानी ने फिल्म, अपने करियर और भविष्य की योजनाओं पर बातचीत की स्मिता श्रीवास्तव से…
वर्ष 2005 में ‘बंटी और बबली’ आई थी। अब 16 साल के बाद उसकी सीक्वल आ रही है। बबली या विम्मी बनना कितना आसान रहा?
आसान इसलिए था, क्योंकि विम्मी का किरदार मेरे दिल के बहुत करीब है। जैसे ही मैं विम्मी का किरदार पढ़ती हूं या उस अवतार में आती हूं तो एक्साइटमेंट अपने आप होती है। यह इतना एंटरटेनिंग और प्यारा कैरेक्टर है कि मन करता है कि उसके साथ दोस्ती करें। उसके साथ रहें, ऐसी औरत के साथ हमारी पहचान हो। भले ही विम्मी एक अंतराल के बाद स्क्रीन पर आ रही है, लेकिन उसके अंदर की स्पिरिट इस बार भी कायम है। बाकी इस बार की बबली कितना अलग है यह तो फिल्म देखने पर ही पता चलेगा। बहरहाल, इसमें अलग-अलग रूप बदलने का मौका मिला है। ऐसे मौके कम ही आते हैं। मैं चाहती हूं कि यह फिल्म चले ताकि हम ‘बंटी और बबली 3’ बनाएं। मुझे जो अलग-अलग लुक लेने का इसमें मौका मिलता है वह कायम रहे। (हंसते हुए) मुझे इसमें गाना गाने और डांस करने का मौका भी मिलता है। यह अच्छी बात है।
डांस और गाने की बात करें तो कलाकार के लिए हिट गाना कितना जरूरी होता है?
मुझे लगता है कि यह हर फिल्म के जानर पर निर्भर करता है। जैसे ‘बंटी और बबली’ में गानों की जरूरत है और लोगों को वो गाने पसंद आते हैं। कुछ फिल्में ऐसी होती हैं जिनमें गानों की जरूरत नहीं होती है, तो यह फिल्म पर निर्भर करता है। अब लगता है कि आपने जब काम शुरू किया तब कुछ खास चीजें होतीं? हर एक दौर से गुजरने का अलग फन होता है, क्योंकि आप अलग चीजों का अनुभव करते हैं। अगर आप अलग चीजों का अनुभव नहीं करेंगे तो आप सीखेंगे कैसे? आप आगे कैसे बढ़ेंगे? मुझे लगता है कि बहुत अच्छी ग्रोथ हुई है इस इंडस्ट्री में मेरी। हर टाइम पर मैंने अपने डायरेक्टर कोएक्टर, तकनीशियन से सीखा है। बहुत अच्छी जर्नी रही है, जो किसी भी हाल में चेंज नहीं करना चाहूंगी। मेरी हिट फिल्म हो या फ्लाप वो सब मेरे अनुभव रहे हैं। मैंने उन्हें बराबर से आत्मसात किया है।
जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए अनुभव के साथ किन लोगों ने प्रेरित किया?
अभी मैं (हालीवुड अभिनेत्री) जेनिफर लोपेज को देखती हूं बावन साल की उम्र में वो इतनी खूबसूरत दिखती हैं तो लगता है कि हम क्यों पीछे छूट जाएं। हम भी मेहनत करके वैसे लग सकते हैं। जब लोग उम्र की बात करते हैं तो उम्र बस एक नंबर है, एक आंकड़ा है। उम्र से आप किसी कलाकार के काम को डिफाइन नहीं कर सकते हैं। मेरे लिए सबसे अच्छी बात यह रही कि मेरे फैन मेरे साथ बहुत लायल रहे। मैं इंटरनेट मीडिया पर नहीं हूं, लेकिन फैन जिन्होंने मेरे साथ जर्नी शुरू की थी अभी भी मेरे साथ डटे हुए हैं। अभी भी मुझे बेशुमार प्यार देते हैं। मुझे और क्या चाहिए।
आपको लगता नहीं कि अब आपको इंटरनेट मीडिया पर आना चाहिए?
नहीं। मुझे ऐसा नहीं लगता। इंटरनेट मीडिया पर आने के लिए आपको बहुत कुछ करने की जरूरत होती है जो कि मेरी लाइफ में संभव नहीं है। मेरी जो पर्सनल लाइफ है मैं उसे खुलेआम नहीं दिखा सकती। दरअसल, मेरे हसबैंड आदित्य चोपड़ा बहुत प्राइवेट इंसान हैं। अगर मैं कभी आई इंटरनेट मीडिया पर तो लोग कहेंगे कि मैं हिप्पोक्रिटिकल हूं, क्योंकि मैं एक लाइफ दिखाती हूं, दूसरी नहीं। ऐसे में अगर मैं इंटरनेट मीडिया पर आऊंगी तो मुझे पूरी तरह से आना होगा।
यशराज फिल्म्स के विजन में आए बदलाव को कैसे देखती हैं?
आदित्य बहुत इंस्पायरिंग हैं। जिस तरह से अपनी कंपनी को अलग मुकाम पर लाए हैं जिस तरह से पूरे यशराज परिवार को साथ लेकर बढ़ते हैं वह काबिलेतारीफ है। उनकी और मेरी जर्नी अलग है। मैं यह समझती हूं कि पति-पत्नी होने का मतलब यह नहीं कि हम एक-दूसरे की जर्नी के बीच में आते हैं। वो अपना काम कर रहे हैं मैं अपना। हम एक-दूसरे के काम का सम्मान करते हैं।
कोरोना काल में क्या नया सीखा?
नया यही है कि बेटी के साथ आनलाइन क्लास की। एक शिक्षक की भूमिका जब अनय पैरेंट्स ने निभाई है तो मैंने भी वैसा ही किया। जब कोरोना शुरू हुआ था तब वह नर्सरी में थी। अभी केजी में है। देखते-देखते घर में ही बड़ी हो गई। बच्चों के ये सबसे अहम दिन होते हैं। वह समय उनका घर में ही व्यतीत हो गया। चाहती हूं कि बच्चों की वैक्सीन जल्दी आ जाए। वो भी टीकाकरण कराकर स्कूल जा सकें। उन्हें भी नार्मल माहौल मिल सके।
कोरोना काल में ‘बंटी और बबली 2’ के गाने और ‘मिसेज चटर्जी वर्सेस’ की शूटिंग का कैसा अनुभव रहा?
कोरोना से बचाव के दिशानिर्देशों को ध्यान में रखते हुए हमने शूटिंग की। कुछ मायनों में ये अच्छा था, क्योंकि कई बार शूटिंग में बहुत ज्यादा भीड़ होती है। कोविड की वजह से उतने लोग ही मौजूद थे जिनकी सेट पर आवश्यकता थी। काम करके अच्छा लगा।
‘बंटी और बबली’ की कोई यादगार चीज आपने सहेज कर रखी है?
नहीं। मैं किसी फिल्म की कोई चीज सहेजकर रखती नहीं हूं, लेकिन ‘बंटी और बबली’ की ढेर सारी यादें मेरे दिल और दिमाग में हैं। हर फिल्म की कोई न कोई याद मेरे साथ रह जाती है। फिलहाल इन यादों को किताबों में उतारने के बारे में नहीं सोचा है।
सैफ अली खान के साथ लंबे अर्से बाद काम करने का अनुभव कैसा रहा?
हमारे बीच एक-दूसरे के प्रति जो प्यार और सम्मान है वह स्क्रीन पर झलकता है। जब आप किसी को लंबे अर्से से जानते हैं तो एक केमिस्ट्री बन जाती है। वह तैमूर के पिता हैं और मैं अदिरा की मम्मी तो बच्चों की काफी बातें हुईं।