24 November, 2024 (Sunday)

भारत पर दबाव बनाना है मकसद, भूटान में गांव और सैन्य अड्डे बसाता जा रहा है चीन

चीन अपनी विस्तारवादी नीति के तहत साल 2015 से भूटान की एक सुदूर घाटी में सड़कों का विशाल नेटवर्क, इमारतें और सैन्य चौकियां बना रहा है। वह क्षेत्र में अपने नागरिकों और सुरक्षाबलों को बसाने के साथ ही सैन्य उपकरण भी तैनात कर रहा है। भूटान घाटी में चीन 2015 से ही इस हरकत को अंजाम दे रहा है। चीन ने 2015 में ऐलान किया था कि वह तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के दक्षिण में ग्यालफुग गांव बसा रहा है लेकिन यह गांव भूटान में पड़ता है।

‘फॉरेन पॉलिसी’ के रॉबर्ट बारनेट के मुताबिक चीन ने 2015 में तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) के दक्षिण में ‘जियेलुओबो’ नाम का एक नया गांव बसाने की घोषणा की थी। हालांकि, तिब्बत में ‘ग्यालाफुग’ नाम से पहचाना जाने वाला यह गांव भूटान की सीमा में पड़ता है। ऐसे में चीनी अधिकारियों ने अंतरराष्ट्रीय सीमा का उल्लंघन किया है। उनकी यह कोशिश हिमालयी क्षेत्र में भारत सहित अन्य देशों के हितों को कमतर करने के वर्षों से जारी अभियान का हिस्सा है।

बारनेट के अनुसार ‘ग्यालाफुग’ पर दावा जताकर चीन भूटान सरकार पर क्षेत्र को उसके हवाले करने का दबाव बना रहा है। इसका मकसद भारत से जारी संघर्ष में सैन्य लाभ हासिल करना है। यानी चीन को असल में यह इलाका चाहिए नहीं लेकिन सिर्फ भारत पर दबाव बनाने के लिए वह इसपर कब्जा कर रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि ‘ग्यालाफुग’ में निर्माण चीन और भूटान के बीच हुई स्थापना संधि का सीधा उल्लंघन है। बीजिंग भूटान के कई अन्य सीमाई इलाकों में भी सैन्य दखल बढ़ा रहा है, जिसका हिमालयी देश ने कड़ा विरोध किया है।

साल 2017 में भी भूटान के दक्षिण पश्चिमी हिस्से में चीन ने एक क्रॉस रोड बनाने की कोशिश की थी। यह जगह भारतीय सीमा से सटी हुई है, जिसकी वजह से डोकलाम में 73 दिनों तक सैकड़ों भारतीय और चीनी सैनिकों का आमना-सामना भी हुआ था। फिर बाद में चीन को यह जगह छो़ड़नी पड़ी थी।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *