26 November, 2024 (Tuesday)

Indus Waters Treaty: भारत-पाक के बीच उलझती-सुलझती रिश्तों की डोर है सिंधु जल समझौता

पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण में ले जाना चाहता था: पाकिस्तान ने मामले को अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण में ले जाने का सुझाव दिया, जिसको भारत ने अस्वीकार कर दिया। 1951 में प्रधानमंत्री नेहरू ने टेनसी वैली अथॉरिटी के पूर्व प्रमुख डेविड लिलियंथल को भारत बुलाया। लिलियंथल बाद में पाकिस्तान भी गये और वहां से वापस लौटकर अमेरिका चले गये। उन्होंने जल विवाद पर एक लेख लिखा और विश्व बैंक से इस मामले में दखल देने के लिए अनुरोध किया, जिसके बाद विश्व बैंक अध्यक्ष यूजीन रॉबर्ट ब्लेक ने भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करना स्वीकार किया। इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बैठकों का सिलसिला शुरू हो गया, यह अब भी जारी है।

हर साल रिपोर्ट देता है आयोग: दोनों देशों ने एक स्थायी सिंधु आयोग (पीआईसी) का गठन किया है,जो संधि के कार्यान्वयन के लिए नीतियां बनाता है। यह आयोग हर साल बैठकें आयोजित करता है और दोनों देशों के सरकारों को अपने काम की रिपोर्ट देता है।

30 अप्रैल 1948 को भारत ने किया था पानी बहाल: वर्ष 1947 में देश के विभाजन के समय सिंधु और उसकी सहायक नदियों का मुख्य हिस्सा भारत में आ गया था। जिसके बाद एक अप्रैल 1948 को भारतीय पंजाब ने पाकिस्तान को जाने वाली नहरों का पानी रोक दिया, ताकि पूर्वी पंजाब के असिंचित क्षेत्रों के लिए सिंचाई व्यवस्था की जा सके। इससे पाकिस्तानी पंजाब क्षेत्र में पानी की भयानक तंगी के हालात पैदा हो गए थे। इसे देखते हुए 30 अप्रैल 1948 को पाकिस्तानी पंजाब को पानी बहाल कर दिया था। 4 मई 1948 को इस मुद्दे पर बातचीत के लिए एक बैठक बुलाई गई थी। इस सम्मेलन में एक समझौता हुआ था।

सिंधु जल समझौते के कारण ही आज तक पाकिस्तान को पानी मिल रहा है, लेकिन अब केंद्र सरकार ने पंजाब में बहने वाली रावी, सतलुज और व्यास नदियों के अतिरिक्त पानी को पाकिस्तान में जाने से रोकने का काम शुरू कर दिया है। इनसेट में सिंधु और सहायक नदियों का नक्शा। फाइल फोटो

भारत को यह जानकारी पाकिस्तान को देना अनिवार्य

  • हर साल कृषि उपयोग से संबंधित जानकारी का आदान-प्रदान
  • जल भंडारण और जल विद्युत परियोजनाओं की जानकारी
  • हर साल 1 जुलाई से 10 अक्टूबर के बीच पाकिस्तान को बाढ़ से संबंधित आंकड़ों की जानकारी देना, जिससे पाकिस्तान बाढ़ राहत उपायों पर काम शुरू कर सके
  • विवादों के निपटारे के लिए दोनों आयुक्त आपस में चर्चा करते हैं, लेकिन सही निर्णय ना हो पाने की स्थिति में तटस्थ विशेषज्ञ की मदद लेने या कोर्ट ऑफ़ आर्बिट्रेशन में जाने का भी रास्ता सुझाया गया है

भारत की हर परियोजना का विरोध करता है पाकिस्तान: जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए बनाए गए 330 मेगावाट के किशनगंगा पन बिजली परियोजना और 850 मेगावाट के रातले जलविद्युत परियोजना का पाकिस्तान शुरू से विरोध करता आ रहा है, जबकि भारत विश्व बैंक के नियमों के अनुसार ही निर्माण और

संचालन कर रहा है।

पाकिस्तान के खिलाफ भारत का एक्शन प्लान: बीते साल केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा था कि केंद्र सरकार ने पंजाब में बहने वाली रावी, सतलज और व्यास नदियों के अतिरिक्त पानी को पाकिस्तान में जाने से रोकने का काम शुरू कर दिया है। सिंधु जल संधि के परे भारत के पानी का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान की तरफ जाता है। उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश है कि जल्दी ही उस पानी को रोका जाये, जिसके बाद उस पानी का इस्तेमाल भारत किसानों और बिजली पैदा करने के लिए कर सके। इसी के साथ अब धीरे-धीरे मोदी सरकार पाकिस्तान के खिलाफ शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।

दोनों देशों ने यह मध्यस्थता तीन सिद्धान्तों के आधार पर स्वीकार की थी, लेकिन अब पाक कर रहा है विरोध

1. सिंधु जल तंत्र के जल संसाधन वर्तमान और भविष्य की दोनों देशों की जरूरतों के लिए पर्याप्त है।

2. पूरे सिंधु जल तंत्र क्षेत्र को एक इकाई मानकर, सहकारिता पूर्वक इन जल संसाधनों को इस तरह विकसित किया जाए, ताकि पूरे सिंधु जल तंत्र क्षेत्र का आर्थिक विकास आगे बढ़ाया जा सके।

3. सिंधु जल तंत्र क्षेत्र के जल संसाधनों के विकास और उपयोग की समस्या को राजनीतिक धरातल से अलग हटकर व्यावहारिक धरातल पर हल किया जाये। इसमें पिछली बातचीतों और राजनीतिक मुद्दों को दरकिनार रखा जाए।

पाकिस्तान के लिए जरूरी है समझौता: सिंधु दुनिया की सबसे बड़ी नदियों में से एक है। इसकी लंबाई 3000 किलोमीटर से अधिक है। सहायक नदियां चिनाब, झेलम, सतलज, राबी और ब्यास के साथ इसका संगम  पाकिस्तान में होता है। पाकिस्तान के दो-तिहाई हिस्से में सिंधु और उसकी सहायक नदियां आती हैं। इसके अलावा पाकिस्तान की 2.6 करोड़ एकड़ जमीन की सिंचाई इन नदियों के पानी पर निर्भर हैं। अगर भारत पानी रोक देता है तो पाकिस्तान में पानी संकट पैदा हो जायेगा। खेती और जल विद्युत बुरी तरह प्रभावित होंगे।

बिजली बना सकता है भारत: पूर्वी नदियों का पानी कुछ अपवादों को छोड़कर भारत बिना रोक-टोक के इस्तेमाल कर सकता है। पश्चिमी नदियों का पानी पाकिस्तान के लिए होगा, लेकिन इन नदियों के पानी का कुछ सीमित इस्तेमाल का अधिकार भारत को दिया गया है, जैसे बिजली बनाना, कृषि के लिए सीमित पानी आदि। दोनों देशों ने सिंधु जल आयुक्त के रूप में एक स्थायी पद का गठन किया है।

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