आने वाले दिनों में और सख्त होगी NBFC पर नकेल कसने की प्रक्रिया, पूंजी आधार पर चार वर्गों में विभाजित करने का सुझाव
वर्ष 2019 की शुरुआत में आइएलएंडएफएस घोटाले के बाद से देश की गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) पर नकेल कसने की जो प्रक्रिया शुरू हुई थी, वह आने वाले दिनों में और सख्त होगी। एनबीएफसी रेगुलेशन के नए नियम बनाने को लेकर आरबीआइ की तरफ से गठित समिति ने इन पर चार-स्तरीय नियमन व्यवस्था लागू करने की सिफारिश की है।
इसमें एनबीएफसी को उनके पूंजी आधार पर चार वर्गो में विभाजित करने, इनके पूंजी आधार में भारी वृद्धि करने और सामान्य बैंकों की तरह ही फंसे कर्जे (एनपीए) के नियम लागू करने की बात है। बड़ी एनबीएफसी के लिए पूरी तरह से सामान्य बैंकिंग नियमों की तरह ही प्रविधान लागू करने की बात इसमें कही गई है। इन सुझावों पर व्यापक विमर्श करने के बाद ही एनबीएफसी नियमन पर आरबीआइ अंतिम फैसला करेगा।
आइएलएंडएफएस और उसके बाद कुछ दूसरी बड़ी एनबीएफसी के विफल होने के बाद इनके नियमन को लेकर काफी सवाल उठ रहे थे। इस पर आरबीआइ ने एक समिति गठित की थी, जिसके सुझावों को अब सार्वजनिक किया गया है। इसमें एनबीएफसी को चार वर्गो में बेस लेयर, मिडल लेयर, अपर लेयर और टॉप लेयर में बांटने का सुझाव है।
टॉप लेयर वाली एनबीएफसी का पूंजी आधार 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है। बेहद बड़े आकार के एनबीएफसी को देश की पूंजी व्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण माना गया है और इस लिहाज से इनके लिए ज्यादा सख्त मानक तय करने की बात कही गई है। वैसे सभी एनबीएफसी के लिए एनपीए के नियम बैंकों की तरह करने का सुझाव है। यानी अगर कोई ग्राहक 90 दिनों तक कर्ज नहीं चुकाता है तो उसके खाते को एनपीए घोषित करना होगा।
देश की व्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण मानी जाने वाली एनबीएफसी की अलग से पहचान की जाएगी और इन सभी को अपना पूंजी आधार 500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1,000 करोड़ रुपये पर ले जाना होगा। इसी तरह से एनबीएफसी के तहत पंजीकृत होने वाली कंपनियों के लिए आवश्यक पूंजी आधार दो करोड़ रुपये से बढ़ाकर 20 करोड़ रुपये कर दिया गया है।