देश के गृह मंत्री रहे सरदार बूटा सिंह का निधन, हमेशा बने रहे नेहरू-गांधी परिवार के विश्वासपात्र
एक वक्त देश के गृह मंत्री रहे और नेहरू-गांधी परिवार के करीबी रहे सरदार बूटा सिंह का आज निधन हो गया। उन्होंने दिल्ली के एम्स में आज सुबह 6 बजकर 25 मिनट पर आखिरी सांस ली। वह बीते लंबे समय से बीमारी से पीड़ित थे। वह 86 वर्ष के थे। सरदार बूटा सिंह की छवि हमेशा एक दलित मसीहा के तौर पर रही। उन्हें कांग्रेस का दलित नेता भी कहा जाता था। उनके निधन को कांग्रेस पार्टी की एक बड़ी क्षति के रूप में देखा जा रहा है। उनके निधन पर पीएम नरेंद्र मोदी ने भी शोक व्यक्त किया है।
पंजाब के जालंधर जिले के मुस्तफापुर गांव में 21 मार्च, 1934 को जन्मे सरदार बूटा सिंह 8 बार लोकसभा के लिए चुने गये। वह अपने पीछे दो बेटे और एक बेटी छोड़ गए हैं। उनके एक बेटे देवली से पूर्व विधायक अरविंदर सिंह लवली हैं। वह फिलहाल अपने बेटे के साथ दिल्ली स्थित जंगपुरा आवास पर रह रहे थे।
नेहरू-गांधी परिवार के करीबी रहे
सरदार बूटा सिंह हमेशा नेहरू-गांधी परिवार के करीबी रहे। गांधी परिवार के विश्वासपात्र रहे सरदार बूटा सिंह ने सरकार के कार्यकाल के दौरान कई भूमिकाओं को बखूबी निभाया। उन्होंने सरकार में रहते हुए केंद्रीय गृह मंत्री, कृषि मंत्री, रेल मंत्री, खेल मंत्री और अन्य कार्यभार को संभाला। वह एक बार बिहार के राज्यपाल भी रहे। बूटा सिंह ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष के रूप में भी महत्वपूर्ण विभागों का काम देखा।
कांग्रेस के बुरे वक्त में साथ खड़े रहे बूटा सिंह
एक वक्त था जब कांग्रेस एक बुरे दौर से गुजर रही थी। 1977 में आई ‘जनता लहर’ के कारण कांग्रेस पार्टी बुरी तरह टूट गई थी। इस कारण पार्टी विभाजित हो गई थी। इस बुरे समय में सरदार बूटा सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में पदभार संभाला। उन्होंने कड़ी मेहनत कर कांग्रेस को 1980 में फिर से सत्ता के केंद्र में लाकर अपने अमूल्य योगदान दिया था। उनके योगदान को कांग्रेस पार्टी ने बखूबी सराहा।