Year Ender 2020: इस साल इन हस्तियों ने कमाया नाम, भारतवंशियों का बजा डंका; सबसे आगे हिंदुस्तानी
Year Ender 2020, नया साल अब बस आने ही वाला है। बीता साल कई मायनों में कई हस्तियों के नाम रहा। कोरोना महामारी संकट के बीच इन हस्तियों ने दुनियाभर में नाम कमाया। इनमें भारतवंशियों की संख्या भी काफी अधिक रही। हिंदुस्तानियों ने इस साल दुनिया में अपना डंका बजाया। इनमें मुकेश अंबानी, कमला हैरिस, सुंदर पिचाई, सत्या नाडेला, निक्की हेली, इंदिरा नूई समेत कई हस्तियां रहे। भारतीयों के अलावा कई अन्य हस्तियों ने अपने नाम का डंका बजाया।
जो बाइडन यूनाइटेड अमेरिका का वादा
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडन की जीत स्वाभाविक तो थी, लेकिन इसकी कल्पना नहीं थी कि वह इतनी नाटकीय परिस्थितियों में संयुक्त राज्य अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति होंगे। कड़वाहट से भरे चुनावों में डेमोकेट्र बाइडन ने निवर्तमान डोनाल्ड ट्रंप के मुकाबले ऐसा विकल्प रखा जो अमेरिका के भटकाव को दूर करने की बात कर रहा था। वैचारिक विभाजन के इस युग में अमेरिका को ट्रंप के दावों के मुकाबले बाइडन के वादे अच्छे लगे। लेफ्ट-लिबरल माहौल में वादे अक्सर पसंद भी किए जाते हैं। बाइडन अगले चार साल तक कुछ निश्चित चुनौतियों से जूङोंगे। इनमें चीन की चुनौती, ईरान का दुस्साहस, कोरोना के बाद की दुनिया, पर्यावरण की चिंता, मंदी की मार प्रमुख हैं। ये चुनौतियां कठिन हैं-टेलीविजन वाली बहस से कहीं अधिक मुश्किल। विश्व के समीकरणों में रूस भी उनका इम्तिहान लेगा और अपने घर में बेरोजगारी जैसे मसलों का दबाव भी उन पर हावी होगा। बाइडन कहते हैं-अमेरिका का रुतबा अब वैसा नहीं रह गया है जैसा हुआ करता था। वह इसी रुतबे को वापस लाने का वादा कर रहे हैं।
ऐसा ही दावा ट्रंप ने भी किया था, लेकिन वह अगर इसमें खरे उतरे होते तो अमेरिका को फिर से संवारने की बातें नहीं होतीं। बाइडन को कमला हैरिस के रूप में ऐसी सहयोगी मिली हैं जो खुद नई उम्मीदों वाली बात कर रही हैं। दोनों को टाइम ने भी ‘पर्सन ऑफ द ईयर’ माना है। चुनाव की अलग दुनिया के बाद बाइडन जब व्हाइट हाउस के दफ्तर में फाइलों के सामने बैठेंगे तब उन्हें एक के बाद एक सही फैसले लेने होंगे, इन्हीं में घरेलू मोर्चे से इतर भारत से संबंधों की बुनियाद की भी बात होगी। भारत अब डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन की फांस से उबर चुका है। राष्ट्रपति किसी दल का हो, भारत को लेकर उनकी नीतियों पर बहुत फर्क नहीं पड़ता है। हालांकि चुनाव के दौरान ही बाइडन पॉलिसी डॉक्यूमेंट जारी करके भारतीयों को लेकर मंशा स्पष्ट करने वाले पहले राष्ट्रपति उम्मीदवार बने थे। जिसमें उन्होंने भारतीय पेशेवरों को लेकर एच-1 बी वीजा में सुधार और उसकी संख्या में वृद्धि के संकेत दिए थे। देश आधारित ग्रीन कार्डो की संख्या को खत्म करने की बात कही थी। ऐसे में दोनों देशों के पास रिश्तों को और मजबूत करने की जरूरत और अवसर दोनों होंगे।
भारतवंशियों का डंका, सबसे आगे हिंदुस्तानी
सुंदर पिचाई, सत्या नाडेला, निक्की हेली, इंदिरा नूई, शांतनु नारायण, अजय बंगा..विश्व पटल पर नक्षत्र बन चुके भारतवंशियों के नामों की फेहरिस्त बहुत लंबी है। हर साल नए सितारे नक्षत्रों की इस सूची में जुड़कर भारत का नाम रोशन कर रहे हैं। किसी एक क्षेत्र में नहीं- राजनीति, अर्थशास्त्र, आइटी, स्वास्थ्य, शिक्षा, मनोरंजन जैसे क्षेत्रों में इनके हुनर का हौसला बुलंद है। दुनिया के 210 देशों में 3.21 करोड़ भारतवंशी अपने लगन, समर्पण और हुनर से न केवल भारतमाता को दैदीप्यमान कर रहे हैं, बल्कि उस देश के चहुंमुखी विकास में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। कनाडा, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में भारतीय मूल के लोगों की आर्थिक, सामाजिक ही नहीं, राजनीतिक हैसियत भी हस्ताक्षर बन चुकी है। कनाडा की कुल आबादी में भारतीय मूल के लोगों की हिस्सेदारी करीब पांच फीसद हो चुकी है। अमेरिका में उपराष्ट्रपति पद के लिए नवनिर्वाचित कमला हैरिस जब जीत के बाद भावपूर्ण भाषण देती हैं तो अमेरिका के साथ तमाम भारतीय आंखें भी नम हो जाती हैं।
दुनिया के सबसे ताकतवर और आर्थिक रूप से समृद्ध इस देश में सर्वाधिक पढ़ा-लिखा, कमाई करने वाला और हुनरमंद समुदाय भारतवंशी है। इंजीनियरिंग, एजुकेशन से लेकर नासा तक में इनका परचम लहरा रहा है। कभी ब्रिटेन का सूरज अस्त नहीं होता था, आज वही देश भारतवंशियों की मेधा के आगे नतमस्तक है। भारतीय मूल के ऋषि सुनक, प्रीति पटेल और आलोक शर्मा जैसे चेहरे न सिर्फ बोरिस जॉनसन कैबिनेट की शोभा बढ़ा रहे हैं बल्कि अहम महकमों के साथ वे देश को मुश्किलों से उबार भी रहे हैं। हाल ही में न्यूजीलैंड में सांसद बने भारतीय मूल के गौरव शर्मा ने जब संस्कृत में शपथ लेनी शुरू की तो समूचा ब्रrांड झंकृत हो उठा। ये भारतवंशियों की मेधा है कि मल्टीनेशनल कंपनियां अपने शीर्ष पद के लिए इन्हें शुभंकर मानने लगी हैं। ऐसी कई कंपनियों की कमाई और कारोबार में गुणात्मक इजाफा कराने वाले भारतीय मूल के लोगों में कुछ नए नाम हर साल जुड़ रहे हैं। संदीप कटारिया इसके ताजा संस्करण हैं, जिन्हें हाल ही में बाटा कंपनी ने अपना ग्लोबल सीईओ नियुक्त किया है। 126 साल के इतिहास में किसी भारतीय को यह ओहदा इस कंपनी में मिलना समूची भारतीयता को सलाम है।
मुकेश अंबानी भारतीय उद्यमिता की अंतरराष्ट्रीय पहचान
इस साल मुकेश अंबानी ने भारतीय उद्यमिता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान दी। दुनिया भर में अर्थव्यवस्था के लिए बेहद मुश्किल दौर में भी उनके कुशल नेतृत्व में रिलायंस समूह ने ऊंची उड़ान भरी। इससे विश्व बाजार में उनकी ही नहीं, भारत की साख भी खूब बढ़ी। कोरोना काल में भी उन्होंने कई उपक्रमों के जरिए अंतरराष्ट्रीय बाजार से जिस तरह पैसा इकट्ठा किया, उससे उनकी उद्यमिता, कारोबारी कौशल और अपनी टीम के साथ तालमेल की पहचान होती है। एशिया के सबसे धनवान उद्यमी मुकेश अंबानी के लिए 2020 का साल मालामाल करने वाला साबित हुआ। ब्लूमबर्ग इंडेक्स और प्रतिष्ठित पत्रिका फोर्ब्स के मुताबिक, वे दुनिया के दसवें सबसे धनवान व्यक्ति रहे। कोरोना काल में जब पूरी दुनिया के उद्योग और व्यापार गोता लगा रहे थे, तब मुकेश अंबानी रिलायंस के शेयरों को आसमान की ऊंचाइयों तक ले गए। अप्रैल के आसपास शेयर बाजार में रिलायंस की बढ़ती धाक ने दुनियाभर के निवेशकों का ध्यान खींचा। कई नामी-गिरामी कंपनियों ने मुकेश अंबानी की स्वामित्व वाली कंपनियों, खासकर जियो प्लेटफॉर्म में हिस्सेदारियां खरीदनी शुरू कीं। इनमें सबसे चर्चित निवेश फेसबुक और गूगल के हैं।
जियो के अलावा मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली रिलायंस रिटेल में भी सिल्वर लेक जैसी बड़ी कंपनियों के निवेश ने सुर्खियां बटोरीं। इनके चलते साल के अंत तक रिलायंस के शेयरों में करीब डेढ़ सौ प्रतिशत की रिकॉर्डतोड़ वृद्धि दर्ज की गई और कंपनी से जुड़े निवेशक बाजार पर महामारी के प्रकोप के बावजूद मालामाल हो गए। यह मुकेश अंबानी की कुशल कारोबारी के तौर पर बढ़ती साख का प्रमाण है कि दूरसंचार के अलावा रिलायंस इंडस्ट्रीज का ऊर्जा, पेट्रो-रसायन, वस्त्र आदि क्षेत्रों में भी बड़े पैमाने पर कारोबार स्थापित हो चुका है। रिलायंस फ्रेश और रिटेल के स्टोर भी अब अधिकांश शहरों में मिल जाएंगे। अभी कुछ दिन पहले ही मुकेश अंबानी ने साल 2021 के मध्य में भारत में जियो 5 जी लांच करने की घोषणा की है। वर्तमान में उनकी संपत्ति करीब 80 अरब डॉलर यानी 5,500 अरब रुपए के करीब आंकी गई है। माना जाता है कि अकेले उनकी संपत्ति से पूरे भारत का बीस दिन का खर्च चल सकता है। आइपीएल की चर्चित टीम मुंबई इंडियंस की मालकिन और मुकेश अंबानी की पत्नी नीता उन्हें प्यार से मुकु के नाम से बुलाती हैं। साल विदा होते-होते मुकेश अंबानी और नीता के घर एक और खुशखबरी आई। दोनों दादा-दादी बन गए हैं।