कहीं कानपुर पुलिस को ही न चुभ जाए कांटा, शहर में तैयार हो रहे कई और विकास दुबे…
एसपी दक्षिण की टीम इन दिनों अपराधियों के खिलाफ हमलावर है। सट्टा, जुआ और ड्रग्स तस्करी के कई बड़े मामले पकड़े जा चुके हैं। अपने अभियान में पुलिस ने एक ऐसे अपराधी को मुखबिर बनाया है, जो खुद ही बड़ा ड्रग तस्कर है। एक ओर जहां पुलिस इस अपराधी के मार्फत अपराधियों को पकडऩे का दावा कर रही है, वहीं सूत्रों के मुताबिक इसने पुलिस की शह पर क्षेत्र में अपना धंधा खूब बढ़ा लिया है। दक्षिण के कई थानों में इस अपराधी की तूती बोल रही है। अफसर अनजान हैं और उन्हें अंधेरे में रखकर उनके कारखास किसी दूसरे खास मकसद को पूरा कर रहे हैं।
नौबस्ता क्षेत्र में रहने वाले इस ड्रग तस्कर का नेटवर्क नौबस्ता के अलावा जूही, गोविंदनगर, बाबूपुरवा, किदवई नगर और बर्रा तक फैला है। अपने भाई के साथ मिलकर इस अपराधी ने क्षेत्र में बड़े पैमाने पर नेटवर्क खड़ा कर लिया है। सूत्रों के मुताबिक, दक्षिण की क्विक एक्शन टीम में इस अपराधी की खासी पैठ है। इसके पीछे कारण यह है कि अब तक जितने भी गुडवर्क हुए हैं, उसमें उसका प्रमुख योगदान रहा है।
इस अपराधी का मनोबल इतना बढ़ गया है कि अपनी गाड़ी में भी यह पुलिस का लोगो लगाकर क्षेत्र में घूमता है। पुलिस से इसकी दोस्ती नई नहीं है, बल्कि कुछ वर्षों पहले जब यह जेल में था तो पेशी पर आते समय इसकी आवभगत करते पुलिस वालों के वीडियो तक वायरल हुए थे। खास बात ये है कि यह अपराधी एक ऐसे परिवार से ताल्लुक रखता है, जिसने देश की आजादी में योगदान दिया था।
तैयार किया दूसरा सुशील बच्चा
सूत्रों के मुताबिक, ड्रग्स तस्कर से जुड़े कुछ पुलिसकर्मी अफसरों को भरोसे में लेकर इस खेल को अंजाम दे रहे हैं। असल में सुशील बच्चा इसलिए पकड़ा गया, क्योंकि वह पुलिस को ही आंख दिखाने लगा था। गुडवर्क के लिए मिन्नतें करवाता था। ऐसे में उसका साम्राज्य समाप्त करके दूसरा सुशील बच्चा तैयार कर लिया गया। जानकारों के मुताबिक, फिलहाल उन्हीं लोगों को निशाना बनाया गया है, जो इसके धंधे में टांग अड़ा रहे थे। पूरे दक्षिण क्षेत्र में अब यही अकेला तस्कर बचा है और जोरशोर के साथ इसका धंधा फैल रहा है।
पिछली साल भी आया था चर्चा में
ये शातिर अपराधी पिछले साल एक एंटरटेनमेंट कंपनी के संचालक को धमकी देकर चर्चा में आया था। डरे सहमे संचालक को अपनी सुरक्षा के लिए बॉडीगार्ड रखने पड़े थे। मामला यह था कि तस्कर एक प्रतियोगिता में अपने गुर्गे को जितवाना चाहता था। बात नहीं बनी तो गुंडई पर उतर आया।
नाम बड़ा, रिकार्ड छोटा
ड्रग्स तस्करी के क्षेत्र में इस अपराधी का काफी बड़ा नाम है, मगर पुलिस का रिकार्ड उतना ही छोटा। केवल वर्ष 2018 में इसके खिलाफ मादक पदार्थों की तस्करी के तीन मुकदमे दर्ज हुए। हालांकि, इसके भाई पर जरूर रासुका के साथ ही मारपीट व लूटपाट के सात मुकदमे जूही, किदवईनगर और नौबस्ता थानों में दर्ज हैं।
- -इस अपराधी के बारे में जांच कराई जाएगी। पुलिस अपराधियों के खिलाफ मुखबिर तंत्र का सहयोग लेती है, मगर ऐसा भी नहीं है कि मुखबिर खुद ही अपराध करने लगे। – डॉ. प्रीतिंदर सिंह, डीआइजी