नए आपराधिक कानूनों को लागू करने पर रोक लगाने की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी
नई दिल्ली . नए आपराधिक कानूनों को लागू करने से रोकने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया. अपनी याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा था कि IPC, CRPC और एविडेंस एक्ट की जगह लाए गए कानूनों को संसद में जरूरी बहस के बिना पास किया गया है. इस कारण सुप्रीम कोर्ट एक विशेषज्ञ कमिटी बनाए, जो इन कानूनों की व्यावहारिकता की जांच करे. संसद से पिछले साल ही भारतीय न्याय संहिता, नागरिक सुरक्षा संहिता और साक्ष्य अधिनियम पास किए गए थे.
वकील विशाल तिवारी ने ये जनहित याचिका दाखिल की थी. सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित कर नए कानून के परीक्षण की मांग की थी. साथ ही नए कानूनों को लागू करने पर भी रोक लगाने की मांग की गई थी.
याचिका में कहा गया था जब यह कानून संसद में पेश किया गया तो उस समय संसद में व्यापक चर्चा नहीं हुई, क्योंकि उस समय अधिकतर सांसदों को निलंबित कर दिया गया था. केंद्र सरकार की अधिसूचना के मुताबिक 3 नए क्रिमिनल कानून 1 जुलाई से लागू होने जा रहे हैं.
जस्टिस पंकज मिथल ने कहा कि याचिका को अनौपचारिक तरीके से तैयार किया गया है. जस्टिस बेला त्रिवेदी ने कहा कि कानून लागू नहीं हुआ है. फरवरी में CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने इसी तरह की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि कानून अभी तक लागू नहीं हुए हैं. नए आपराधिक कानूनों को 25 दिसंबर, 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिलने के बाद 3 जनवरी, 2024 को जनहित याचिका दायर की गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस बेला त्रिवेदी की बेंच ने कहा, “याचिका पर यदि आप बहस करते हैं तो हम जुर्माना लगा कर इसे खारिज कर देंगे, लेकिन आप इसे वापस ले रहे हैं तो हम जुर्माना नहीं लगा रहे हैं.”
नए कानून किसकी जगह लेंगे?
पिछले साल सदन से भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक को पारित किया था. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इन विधेयकों पर अपनी मुहर लगा दी थी.
ये 3 नये कानून भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे.