36 हजार अरब डॉलर के कर्ज में डूबा है पाकिस्तान, जानें- इमरान खान ने कैसे गिनवाई अपनी परेशानियां
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि जब पाकिस्तान में उनकी सरकार बनी थी तब सरकार की देनदारियां थी वो 30 हजार अरब की थीं। इसके अलावा 25 हजार अरब का कर्ज था। बाद में ये कर्जे बढ़कर 36 हजार अरब हो गए। उनकी सरकार ने 11 हजार अरब के जो कर्ज लिए उनमें से 6 हजार अरब केवल पुराने कर्जों का ब्याज देने के लिए लेने पड़े थे। 3 हजार अरब का कर्ज डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया कमजोर पड़ने की वजह से बढ़ गए।
उन्होंने कहा कि ये सब कुछ उनकी वजह से नहीं हुआ बल्कि जब उन्होंने सत्ता हासिल की थी उस वक्त 60 अरब डॉलर की इंपोर्ट और 20 अरब डॉलर की एक्सपोर्ट थी। पाकिस्तान का उस वक्त करंट अकाउंट डेफिसेट 30 अरब डॉलर का था। इसकी वजह से 3 हजार अरब का कर्ज और बढ़ गया। 2 हजार अरब डॉलर के कर्ज में से 800 अरब डॉलर कोविड-19 की वजह से जो नुकसान उठाना पड़ा उसमें चले गए। इसके अलावा बची रकम लोगों को राहत पैकेज के नाम पर बांटी गई। उन्होंने ये बातें पानी के पंख नाम की एक डॉक्यूमेंट्री ड्रामा की सेरेमनी के मौके पर कहीं। पाकिस्तान के पीएम ऑफिस ने इसको ट्वीट किया है।
इस मौके पर उन्होंने कहा कि देश की पुरानी सरकारें यदि सही फैसले लेती तो आज पाकिस्तान ऐसा नहीं होता। पहले की सरकारों ने केवल चुनाव जीतने पर जोर दिया और शॉर्ट टर्म पॉलिसी बनाई। इसका ही खामियाजा आज देश भुगत रहा है। शुरुआत में पाकिस्तान में बिजली बेहद सस्ती थी। यदि पहले की सरकारें सही फैसला लेती तो हमारी इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलता, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। भारत में बिजली के रेट बेहद कम है। इस वजह से हमारी इंडस्ट्री उनका मुकाबला ही नहीं कर सकी है।
यही वजह है कि इसके लिए सरकार सब्सिडी देती है, जिससे इस इंडस्ट्री को भारत जैसे मुल्क से मुकाबला करने की मजबूती मिलती है। उनका कहना था कि यदि पाकिस्तान भी अपने यहां पर बांध बनाने और लंबे समय की योजना के बारे में ध्यान देता तो आज देश को इतने मुश्किल हालात नहीं देखने पड़ते। उन्होंने ये भी कहा कि पाकिस्तान में जो शॉर्ट टर्म सोच रही जो केवल चुनाव जीतने तक के लिए ही सीमित रही। इससे देश को काफी नुकसान पहुंचा है।