22 November, 2024 (Friday)

राजपूत समाज ने दलित की बेटी को घोड़ी पर बिठाकर निकाली बिंदौली

अजमेर. ख्वाजा गरीब नवाज की नगरी अजमेर से सामाजिक समरसता की सुखद खबर सामने आई है. अजमेर शहर के लोहागल इलाके में दलित समाज की लड़की की शादी में अनूठी पहल हुई है. लोहागल गांव के कैलाश मेघवाल की 19 वर्षीय बेटी साक्षी की शादी में राजपूत समाज के लोगों ने दुल्हन को घोड़ी पर बिठाकर डोल नगाड़े के साथ पूरे गांव में बिन्दौली निकाली. घोड़ी की लगाम को आम जनमत पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष घनश्याम सिंह बनवाड़ा और प्रदेश उपाध्यक्ष श्यामसिंह तस्वारियां ने पकड़कर यह बिंदौली निकाली.

साक्षी की शादी से पहले यह आयोजन मंगलवार रात को हुआ. आयोजन में 14 साल के बालक शुभम सिंह बनवाड़ा ने दुल्हन साक्षी को साफा पहनाया. इसके बाद बनवाड़ा राजपूत परिवार की ओर से दुल्हन साक्षी और उसके परिवार को राजस्थानी परंपरा के अनुसार बिंदौली के शाही भोज पर आमंत्रित किया गया. इसका आयोजन लोहगल स्थित गार्डन रेस्टोरेंट में हुआ. शादी में सैकड़ों लोग सामाजिक समरसता के इस माहौल के साक्षी बने. इस बिदौली और आयोजन के फोटो सोशल मीडिया पर फोटो वायरल हो रहे हैं. हर कोई इस पहल की सराहना कर रहा है.

इस तरह के आयोजन से समाज में फैली ऊंच नीच खत्म किया जा सकता है
इस पहल को लेकर प्रदेशाध्यक्ष घनश्याम सिंह बनवाड़ा ने बताया कि दलित समाज को लेकर कई तरह की नकारात्मक बातें होती हैं. कई जगह दलित दूल्हों को घोड़ी बैठने नहीं दिया जाता. कई जगह नीचे उतार दिया जाता है. यह कायरता है. राजपूत समाज हमेशा दलित समाज को साथ लेकर चला है. इस तरह के आयोजन करके समाज में फैली ऊंच नीच खत्म किया जा सकता है. समाज के पिछड़े तबकों की रक्षा करना राजपूत समाज का धर्म रहा है.

पिता बेटी की शादी बेटे की तरह की तरह करना चाहते थे
साक्षी के पिता कैलाश मेघवाल उनके बहुत पुराने दोस्त हैं. वे अपनी बेटी की शादी बेटे की तरह की तरह करना चाहते थे. इसीलिए बेटी को साफा पहनाकर उसकी घोड़ी पर बिंदौली निकली गई है. इस आयोजन के जरिये लोगों को संदेश दिया गया कि ऊंच नीच कुछ नहीं होती. सब समान हैं. सामाजिक समरसता बनाए रखना किसी एक की नहीं बल्कि सबकी जिम्मेदारी है.

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