यूपी में 80 सीटों के लिए रस्साकशी शुरू हो गई है।



लो फिर आ गया चुनावों का मौसम। वादों का मौसम…। इरादों का मौसम…। …तो तीरों को धार देने का भी मौसम। अब ‘इंडिया’ के हमले होंगे। ‘भारत’ के जवाब होंगे। सियासी प्रयोगशालाओं से नए-नए हथियार निकलेंगे। जहर बुझे तीरों के काट भी निकलेंगे। राम की बातें होंगी। आराम की बातें होंगी। आया राम-गया राम की चर्चाएं भी होंगी।
बुधई, मंगरू, कल्लू काका का मनुहार होगा। ननकी, बड़की काकी के चूल्हे की रूखी-सूखी रोटी भी मीठी होगी। क्योंकि ये चुनावी मौसम है। इसकी यही रीति है। बहरहाल यूपी में 80 सीटों की रस्साकशी शुरू हो गई है। आप भी 2024 के चुनावी समर का मजा लीजिए। 2019 के लोकसभा चुनाव से कुछ मामलों में अलग और बीस है इस बार का चुनाव।
18वीं लोकसभा के चुनावों का एलान किसी भी दिन हो सकता है। राजनीतिक दल 2024 के चक्रव्यूह को भेदने के लिए पालाबंदी में जुटे हैं। ज्यादातर ने पाले तय कर लिए हैं। गठबंधन की सीटें तय हो गई हैं। प्रत्याशी तय हो रहे हैं। दलबदल और घर वापसी जैसे नित्य का उत्सव हो गया है।
विपक्ष जब 10 साल लगातार सरकार में रहने वाले दल के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर के दावे कर रहा हो, कई लोग जब सत्ताधारी गठबंधन से विपक्ष की ओर भगदड़ की उम्मीदें करते हों, चारों ओर से सत्ताधारी दल में शामिल होने और किसी भी कीमत पर टिकट पाने की अकुलाहट खुल्लमखुल्ला नजर आ रही है। जो कल तक विपक्ष में बैठकर सत्ता को लानतें दे रहे थे, वे तेजी से सिंहासन के हिस्सेदार और बगलगीर होने को व्याकुल हैं।