यम का दीपक जलाकर की दीर्घायु की कामना
एटा। नरक चतुर्दशी पर्व का शुभ मुहूर्त से लोगों ने इसी समय के अंतराल में पूरे विधिविधान और पारंपरिक ढंग से पूजन किया। शाम को जैसे ही मुहूर्त का वक्त हुआ, महिलाओं ने घर के बाहर देहरी पर एक दीपक जलाया जिसे यम का दीपक कहा जाता है।
साथ ही जल, रोली, फूल, चावल, गुड, नैवेद्य एवं खील खिलौना आदि दीपक पर चढ़ाकर पूजा अर्चना की और पूर्ण श्रद्धा से उन्हें नमन करते हुए प्रार्थना की कि वे आपके परिवार पर दयादृष्टि बनाए रखें और किसी की अकाल मृत्यु न हो, इस दौरान परिवार के सभी सदस्यों की दीर्घायु की कामना की।
नरक चतुर्दशी को हनुमान जयंती, रूप चतुर्दशी और धनवंतरि चतुर्दशी भी कहा जाता है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की रात जो प्राणी दीपमाला, दक्षिण दिशा की ओर भेंट करता है, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता, यही कारण है कि लोग इस दिन घर से बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाकर रखते हैं।