मध्य प्रदेश और यूपी के बीच जल्द सुलझ सकता है केन-बेतवा जल विवाद, शेखावत की मौजूदगी में इसी माह बैठक
मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश के बीच केन-बेतवा लिंक परियोजना में जल बंटवारे का विवाद अब अंतिम चरण में है। केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की अध्यक्षता में बैठक इसी महीने प्रस्तावित है। बैठक में दोनों राज्यों में पानी की जरूरत को लेकर अंतिम फैसला लिया जाएगा। केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बीते सितंबर में में दोनों राज्यों से इस मसले पर राय मांगी थी।
मध्य प्रदेश ने तैयार किया प्रस्ताव
सूत्रों की मानें तो मध्य प्रदेश जल संसाधन विभाग ने उक्त विषय पर प्रस्ताव तैयार कर लिया है। इस प्रस्ताव को अनुमोदन के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजा गया है। इस प्रस्ताव के मुताबिक, केन-बेतवा लिंक परियोजना से उत्तर प्रदेश को रबी के सीजन में 700 मिलियन क्यूबिक मीटर और खरीफ के सीजन में 1000 एमसीएम यानी मिलियन क्यूबिक मीटर पानी देना प्रस्तावित है। मालूम हो कि जल बंटवारे को लेकर जारी विवाद के चलते यह परियोजना 15 साल से आकार नहीं ले पा रही है।
दोनों सूबों में जल की समस्या
बताया जाता है कि साल 2005 में मध्य प्रदेश और यूपी के बीच जल बंटवारा हो गया था लेकिन बाद में उत्तर प्रदेश सरकार की मांग बढ़ गई जिसके चलते विवाद हो गया। इस विवाद के चलते ही मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में पीने के पानी और सिंचाई के पानी की समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने विवाद को सुलझाने के लिए सितंबर में दोनों राज्यों के मंत्रियों और अधिकारियों की बैठक बुलाई थी।
केंद्र ने जाहिर की थी नाराजगी
केंद्रीय मंत्री शेखावत ने उस बैठक जल बंटवारे पर विवाद की वजह से परियोजना में देरी को लेकर नाराजगी जाहिर की थी। उन्होंने विवाद के समाधान के लिए दोनों ही राज्यों से अक्टूबर तक प्लान मांगा था। बीते 29 अक्टूबर को बैठक प्रस्तावित थी जो उपचुनावों के चलते स्थगित कर दी गई। अब यह बैठक दीपावली बाद होने जा रही है। इस बैठक में दोनों राज्य अपनी कार्ययोजना रखेंगे।
मध्य प्रदेश का यह है तर्क
सूत्रों का कहना है कि मध्य प्रदेश जल संसाधन विभाग ने पानी की जरूरत की योजना में साफ उल्लेख किया है कि रबी के सीजन में उत्तर प्रदेश को 700 एमसीएम और खरीफ में 1000 एमसीएम पानी ही दिया जा सकेगा। इससे ज्यादा पानी देने पर मध्य प्रदेश में 4.47 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की मुश्किलें आएंगी। विभाग का कहना है कि परियोजना में जंगल, जमीन और वन्यप्राणियों के लिए रहवास क्षेत्र का नुकसान मध्य प्रदेश उठाएगा ऐसे में पानी पर ज्यादा हक उसका है।
ऐसे उपजा विवाद
बताया जाता है कि साल 2005 में उत्तर प्रदेश को रबी फसल के लिए 547 एमसीएम और खरीफ फसल के लिए 1153 एमसीएम पानी देना तय हो गया था। बाद में साल 2018 में उत्तर प्रदेश की मांग पर रबी फसल के लिए 700 एमसीएम पानी देने पर सहमति बन गई थी। बाद में केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश को 788 एमसीएम पानी देना तय कर दिया था। लेकिन जुलाई 2019 में उत्तर प्रदेश की सरकार ने 930 एमसीएम पानी मांग लिया जिसे मध्य प्रदेश ने इनकार कर दिया था।