22 November, 2024 (Friday)

बेबी केयर अस्पताल में लगी आग से 6 बच्चों की ही हुई थी मौत

नई दिल्ली: दिल्ली के विवेक विहार में बेबी केयर अस्पताल अग्निकांड में नया खुलासा हुआ है. बेबी केयर अस्पताल में आग लगने से सात बच्चों की मौत नहीं हुई है. आग लगने से केवल 6 बच्चे की मौत हुई थी. सातवें बच्चे की मौत तो आग लगने से पहले ही हो चुकी थी. हालांकि, इस अग्निकांड में उसका शव भी जल गया. बेबी केयर अस्पताल में आगजनी की घटना के बाद अस्पताल के मालिक डॉ नवीन किची और डॉ आकाश को गिरफ्तार कर लिया गया है. अस्पताल को लेकर भी कई खुलासे हुए हैं. दावा किया गया कि अस्पताल के लाइसेंस की अवधि समाप्त हो गई थी. अग्निशमन विभाग से मंजूरी भी नहीं मिली थी. बावजूद इसके अस्पताल अवैध रूप से चल रहा था.

इस बेबी केयर अस्पताल कांड में सातवें बच्चे को लेकर जो खुलासा हुआ है, वह दर्दनाक है. दरअसल, बेबी केयर अस्पताल में आग शनिवार करीब 11 बजे रात को लगी थी. जबकि सातवें बच्चे की मौत करीब 10.30 बजे ही हो गई थी. अग्निकांड से पहले ही गाजियाबाद निवासी नवीन की पत्नी कुसुम ने एक बच्चे को जन्म दिया था. जब बच्चे को सांस लेने में दिक्कत हुई तो उसे बेबी केयर अस्पताल में भर्ती कराया गया. मगर आग लगने से पहले ही उसकी करीब 10.30 बजे मौत हो गई. नवीन-कुसुम का रो-रोकर बुरा हाल था. क्योंकि रात अधिक हो गई थी, इसलिए नवीन और कुसुम शव घर ले जाने के लिए सुबह का इंतजार करने लगे. तभी 11 बजे के करीब में अस्पताल में यह अग्निकांड हो गया.

सरकारी रिपोर्ट में क्या-क्या?
इस बीच दिल्ली मंडल आयुक्त को जो रिपोर्ट मिली है, उसमें कहा गया है कि घटना के वक्त अस्पताल में 12 बच्चे भर्ती थे. एक की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 11 को आसपास के अस्पताल में ले जाया गया, जहां छह को चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया. घटना में जान गंवाने वाले बच्चों में चार लड़के और तीन लड़कियां शामिल हैं. 25 दिन के एक बच्चे को छोड़कर अन्य सभी 15 दिन के थे. शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए जीटीबी अस्पताल भेजा गया था.

विवेक विहार थाने में केस दर्ज
विवेक विहार पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 336 (दूसरों के जीवन और व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाला कार्य) और 304ए (लापरवाही से मौत), 304 (गैर इरादतन हत्या के लिए सजा) और 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास) के तहत मामला दर्ज किया गया है. पुलिस उपायुक्त (शाहदरा) सुरेंद्र चौधरी ने कहा कि आग लगने का प्रारंभिक कारण शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है, लेकिन जांच जारी है. दिल्ली सरकार ने अग्निकांड की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं. पुलिस ने कहा कि लाइसेंस की अवधि समाप्त होने के अलावा, अस्पताल में योग्य डॉक्टर भी नहीं थे और अग्निशमन विभाग से कोई मंजूरी भी नहीं ली गई थी.

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