पीएम मोदी से फाल्के पुरस्कार की गरिमा बचाने की मांग
भारतीय सिनेमा के जनक कहे जाने वाला धुंडीराज गोविंद फाल्के को सिनेमा के प्रशंसक दादा साहब फाल्के के नाम से जानते हैं। उनको ही देश की पहली सिनेमाघरों में प्रदर्शित फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ (1913) बनाने का श्रेय दिया जाता है। फाल्के के नाम पर भारत सरकार हर साल भारतीय सिनेमा में अमिट योगदान देने वाली किसी शख्सियत को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार देती है। बीते साल ये पुरस्कार अभिनेत्री वहीदा रहमान को मिला। लेकिन मुंबई और देश के बाकी हिस्सों में दादा साहब फाल्के पुरस्कारों के नाम पर कई आयोजन होते रहे हैं। एआईसीडब्लूए के अध्यक्ष सुरेश श्यामलाल गुप्ता ने अब इस बाबत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है और एक राष्ट्रीय पुरस्कार से मिलते जुलते इन पुरस्कारों पर रोक लगाने की मांग की है।
सुरेश गुप्ता के मुताबिक, इस तरह देश के सबसे बड़े राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से मिलते जुलते पुरस्कारों से न सिर्फ राष्ट्रीय पुरस्कार की गरिमा धूमिल हो रही है, बल्कि भारतीय सिनेमा के जनक दादा साहब फाल्के के नाम पर ही भारतीय सिनेमा को धोखा दिया जा रहा है। अपने संगठन ऑल इंडियन सिने वर्कर्स एसोसिएशन की तरफ से सुरेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ साथ केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर को भी इस बाबत पत्र लिखा है। पत्र में दादा साहब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (डीपीआईएफएफ) अवार्ड्स के आयोजकों पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं और कहा गया कि इन पुरस्कारों की बंदरबांट में मोटी रकम भी वसूली जा रही है।