22 November, 2024 (Friday)

पापा ने जीवनभर बनाई संपत्ति, बच्चों को मिलने से पहले आधी ले जाती सरकार

अंग्रेजी में इन्हेरिटेंस टैक्स और हिन्दी में विरासत कर. बुधवार को इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने इसी विरासत टैक्स पर कुछ ऐसा कह दिया कि लोकसभा चुनावों के बीच में खड़े भारत में राजनीतिक बवाल हो गया. भारतीय जनता पार्टी को कांग्रेस पर हमला करने का एक और मौका मिल गया. उधर, सैम पित्रोदा ने अपने बयान के संदर्भ में सफाई पेश की. राजनीतिक स्तर पर क्या-क्या हुआ, वह तो आप देख और पढ़ ही चुके होंगे. यहां हम आपको उसी विरासत कर (इन्हेरिटेंस टैक्स) के बारे में विस्तृत जानकारी दे रहे हैं कि यह है क्या, कब और कैसे लगता है और कितना लगता है.

इन्हेरिटेंस टैक्स दरअसल एक ऐसा टैक्स है जो संपत्ति पर लगता है, मगर यह संपत्ति कर नहीं है. मुख्य तौर पर अमेरिका में इन्हेरिटेंस टैक्स लगता का जिक्र कई बार होता है. अमेरिकी परिभाषा के मुताबिक, यह वह टैक्स है, जो किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उस संपत्ति पर लगता है, जो उत्तराधिकारियों को मिलनी होती है. खास बात यह है कि विरासत में मिलने वाली संपत्ति के ट्रांसफर होने से पहले यह टैक्स लगता है.

अमेरिका में इस टैक्स का रेट 40 प्रतिशत है. इसका मतलब यह हुआ कि व्यक्ति ने जीवनभर कमाकर जो कुछ भी बनाया, वह पूरा का पूरा उसके उत्तराधिकारियों को नहीं मिल सकता. मान लीजिए, 1 करोड़ रुपये की संपत्ति है, जो उत्तराधिकारियों को मिलती है. व्यक्ति की मृत्यु के बाद उत्तराधिकारियों के नाम चढ़ने से पहले उस संपत्ति पर 40 लाख रुपये का टैक्स लग जाएगा. मतलब 60 लाख की संपत्ति ही उत्तराधिकारियों को मिलेगी. यदि उत्तराधिकारियों की संख्या 2 या 3 है तो सबके हिस्से में जितनी-जितनी संपत्ति आ रही है, उसी के हिसाब से टैक्स लगेगा.

देश टैक्स
जापान 55%
साउथ कोरिया 50%
जर्मनी 50%
फ्रांस 45%
इंग्लैंड (यूके) 40%
अमेरिका (यूएस) 40%
स्पेन 34%
आयरलैंड 33%

क्यों लगाया जाता है विरासत कर

अब सवाल यह उठता है कि कई देशों में सरकार द्वारा इतना भारी-भरकम टैक्स क्यों लगाया जाता है? मुख्य तौर पर सरकार का ऐसा टैक्स लगाने का मकसद रेवेन्यू बनाना होता है. जब सरकार के पास पैसा आएगा, तो वह विकास कार्यों पर ज्यादा खर्च कर सकेगी और देश तरक्की करेगा.

सरकार का एक दूसरा मकसद ज्यादा पूंजी को समाज में वितरित करने का है. कई देशों की सरकारें चाहती हैं कि सारी पूंजी कुछ चंद लोगों के हाथ में सीमित न रह जाए. इसे वेल्थ री-डिस्ट्रिब्यूशन (Wealth Redistribution) कहा जाता है. भारत में 1948 से 1952 तक भूदान आंदोलन चला था. इसके सूत्रधार विनोबा भावे (Vinoba Bhave) थे. तब भारत के कई लोगों ने स्वेच्छा से अपनी भूमि का दान किया था.

भारत से कब और क्यों हटाया गया ये टैक्स

भारत में अब विरासत कर नहीं लगाया जाता है. 1985 में राजीव गांधी सरकार के समय इसे समाप्त कर दिया गया था. तत्कालीन वित्त मंत्री वी.पी. सिंह की राय थी कि यह समाज में संतुलन लाने और धन के अंतर को कम करने में विफल रहा है, हालांकि इसके इरादे नेक थे.

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *