पड़ोस के बच्चों के बीच झगडे में लिखाया एससी-एसटी का मुकदमा, दहशत में जिंदा जल गई रिटायर फौजी की पत्नी
बच्चों की मामूली लड़ाई गंभीर रूप भी धारण कर सकती है। पुष्पांजलि ईको सिटी कालोनी में एक महिला की इन्हीं हालातों में जान चली गई। सेवानिवृत्त फौजी की पत्नी बच्चों के झगड़े में परिवार पर अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम में मुकदमा दर्ज होने से दहशत में थीं। रविवार रात महिला लपटों से घिरी मिली। आग बुझाने के बाद परिजन और कालोनीवासी उन्हें उपचार के लिए अस्पताल ले गए, जहां से दिल्ली रैफर कर दिया गया। उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई। परिजनों ने पड़ोसियों पर महिला को जलाकर मार डालने का आरोप लगाया है।
पुलिस के मुताबिक, ताजगंज क्षेत्र की पुष्पांजलि ईको सिटी कालोनी में शुक्रवार शाम को सेना के सेवानिवृत्त हवलदार अनिल राजावत के सात वर्षीय जुड़वां बच्चे पड़ोसियों के बच्चों के साथ खेल रहे थे। उनकी पत्नी संगीता राजावत दूध लेने गई थीं। इसी दौरान अनिल के बच्चों का पड़ोसी भरत खरे के बच्चों से झगड़ा हो गया। मारपीट के दौरान भरत के बेटे को चोटें आयीं। मामला तूल पकड़ गया। भरत ने पड़ोसी अनिल राजावत और उनके परिवार पर अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम में मुकदमा दर्ज करा दिया।
कालोनीवासियों ने पुलिस को बताया कि मुकदमे में समझौते के लिए रविवार शाम करीब आठ बजे कालोनी में पंचायत हुई। आरोप है कि भरत खरे ने समझौते के लिए पहले दस लाख रुपये मांगे। बाद में पांच लाख देने की कहने लगे। जबकि अनिल इलाज कराने को तैयार थे। मगर इस पर सहमति नहीं बनी। दोनों पक्षों में समझौता नहीं हो सका। अनिल कालोनी के कुछ लोगों के साथ इसी संबंध में बातचीत कर रहे थे। तभी उनकी पत्नी के चीखने की आवाज आई। लोग दौड़कर वहां पहुंचे। वह लपटों से घिरी हुई सड़क की ओर दौड़ रही थीं। चीखी-चिल्लाईं।
कालोनीवासियों ने रेत डालकर आग बुझाई। गंभीर हालत में उन्हें मिलिट्री अस्पताल ले जाया गया। हालत गंभीर देख संगीता को दिल्ली रैफर कर दिया गया। सोमवार को दिल्ली के आरआर हॉस्पीटल ले जाया गया था। सोमवार सुबह साढ़े नौ बजे उन्होंने वहां दम तोड़ दिया। अनिल राजवत और उनके जुड़वां बच्चे दिल्ली में हैं। उन्होंने पुलिस को घटनाक्रम की जानकारी दी। संगीता का दिल्ली में ही पोस्टमार्टम होगा। आगरा से पुलिस की एक टीम भी नई दिल्ली रवाना हो गई थी। अनिल ने पड़ोसी भरत खरे और उनके रिश्तेदारों पर पत्नी को जिंदा जलाकर मार डालने का आरोप लगाया है।
रिटायर फौजी की तरफ से जो तहरीर मिलेगी उस पर मुकदमा दर्ज किया जाएगा। पुलिस पहले जांच करेगी। उसके बाद साक्ष्यों के आधार पर कार्रवाई करेगी। पहले पक्ष की तहरीर पर मुकदमा जरूर लिखा गया था मगर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की थी। उसमें भी पहले जांच होती। घटना सही पाई जाती तब कार्रवाई होती।
बबलू कुमार, एसएसपी
लपटों से घिरी संगीता सड़क पर दौड़ी तो फैल गई दहशत
पुष्पांजलि ईको सिटी कालोनी में रहने वाले लोगों की आंखों में रविवार रात नींद नहीं थी। उनकी आंखों के सामने बार-बार एक ही दृश्य फिल्म की रील की मानिंद घूमता रहा। लपटों से घिरी संगीता मदद के लिए चीख रही थीं। पति अनिल राजावत ने उन्हें बचाने का प्रयास किया। पत्नी से लिपट गए। लोगों ने उन्हें घसीटकर दूर किया। मिट्टी डालकर आग पर काबू पाया। शोर-हंगामे और दहशत के बीच संगीता को पहले आगरा के सैन्य अस्पताल और बाद में दिल्ली ले जाया गया मगर बचाया नहीं जा सका। कालोनी में रहने वाले राजकिशोर, राजीव सक्सेना, महेश चंद आदि ने बताया कि अपनी आंखों के सामने जिंदगी में पहली बार उन्होंने किसी को जिंदा जलते देखा। अभी तक रूह कांप रही है। एक मुकदमे से अनिल का हंसता खेलता परिवार बर्बाद हो गया।
उसके दो छोटे बच्चे हैं। अब उनकी देखभाल कौन करेगा। पड़ोस में कोई इतना बैर नहीं मानता। कालोनीवासियों भी दबे-ढके तरीके से मान रहे हैं कि कि संगीता को जिंदा जलाया गया है। उन्होंने कुछ लोगों को भागते देखा था। कालोनीवासियों ने बताया कि संगीता दौड़ते हुए घर से बाहर निकली थीं। बाहर मिट्टी पड़ी है। वह उस पर गिर पड़ी थीं। लोगों ने मिट्टी और रेत डालकर आग बुझाई थी। लपटों से घिरी संगीता और बाद में जली संगीता का शरीर बार-बार लोगों की आंखों में नमी और दहशत पैदा कर रहा है। घटना के बाद पूरी कालोनी अनिल के समर्थन में एकजुट है। लोगों का कहना है कि ऐसे तो कोई भी किसी के खिलाफ मुकदमा लिखा देगा। पुलिस को मुकदमा लिखने से पहले जांच करनी चाहिए थी।
सीओ से मिले थे कालोनीवासी
एससी/एसटी के मुकदमे की विवेचना सीओ स्तर के अधिकारी करते हैं। अनिल राजावत के खिलाफ मुकदमे की जानकारी के बाद कालोनी के लोग सीओ सदर महेश कुमार से मिले थे। उन्हें पूरा घटनाक्रम बताया था। कालोनीवासियों के अनुसार सीओ सदर ने भी उनसे कहा था कि वादी मुकदमा को संतुष्ट करें। वह कार्रवाई नहीं चाहेगा तो मुकदमा खत्म कर दिया जाएगा। उसकी सहमति बहुत जरूरी है। इसलिए समझौते के लिए पंचायत बुलाई गई थी।
आरोपित पुलिस ने अभिरक्षा में लिये
भरत और उसके परिवार को ताजगंज पुलिस ने अपनी अभिरक्षा में ले लिया है। पुलिस को डर था कि घटना से आक्रोशित फौजी के रिश्तेदार उसके ऊपर हमला न बोल दें। एसपी सिटी बोत्रे रोहन प्रमोद ने बताया कि पुलिस की एक टीम दिल्ली भेजी गयी है। पुलिस टीम वहां अनिल के साथ है। पोस्टमार्टम के बाद शव को आगरा लाया जाएगा।
काश, पुलिस पहले दिन ही ऐसे बोलती
अनिल राजावत दिल्ली में थे। उन्होंने फोन पर बताया कि पुलिस अब उनसे लगातार फोन पर बातचीत कर रही है। बोल रही है कि उनके साथ अन्याय नहीं होगा। पुलिस ने ऐसा ही व्यवहार पहले दिन किया होता तो शायद यह नौबत नहीं आती। अनिल और उनकी पत्नी संगीता एससी/एसटी के मुकदमे से दहशत में थे। एकता चौकी से अनिल के पास शनिवार सुबह फोन आया था। पुलिस ने उन्हें जांच के लिए चौकी पर बुलाया था। सुबह 11 बजे से रात दस बजे तक उन्हें चौकी पर बैठाकर रखा गया। उनकी पत्नी संगीता भी चौकी पर गई थीं। पत्नी के साथ दरोगा ने अभद्रता की। यहां तक कहा कि जेल जाने की तैयारी कर लो। चौकी से लौटने के बाद वह बोल रही थीं कि पुलिस ने उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया। उनके साथ गाली-गलौज की। कालोनीवासी चौकी पर पहुंचे थे। तब पुलिस ने अनिल को छोड़ा था। उनसे कहा था कि इस मामले में समझौता कर लें। वादी तैयार होगा तभी उनकी बचत है। नहीं तो पति-पत्नी का जेल जाना तय है। पुलिस की अभद्रता और मुकदमे की दहशत पत्नी के दिमाग में घर कर गई। नतीजतन उनको यह दिन देखना पड़ रहा है। उनका परिवार बर्बाद हो गया है।
पैर छूने पर भी नहीं पसीजे दिल
अनिल राजावत का कहना था कि रविवार रात कालोनीवासियों की पंचायत में उसने पड़ोसी भरत खरे और उनके रिश्तेदारों के पैर छूए। पंचायत में शामिल लोगों ने उनकी पत्नी से भी पैर छूने को कहा। पत्नी ने बोला कि पति ने जब पैर छू लिए तो वह क्यों छूए। यह बात भी दूसरे पक्ष को रास नहीं आई। अनिल का आरोप है कि उनकी पत्नी को भरत खरे उसकी पत्नी सुनीता और रिश्तेदारों ने जलाया है। कालोनी में इसकी जांच की जा सकती है। हालांकि पुलिस का कहना है कि आग कैसे लगी, यह जांच का विषय है।
‘मेरी बहन की हत्या हुई है’
मृतका संगीता के भाई शिवराम ने बताया कि बहन की हत्या हुई है। उनके भांजे पीयूष की उम्र करीब सात साल है। भरत खरे का बेटा बिट्टू उससे बड़ा है। खेलने के दौरान दोनों बच्चों में झगड़ा हुआ था। बिट्टू ने उनके भांजे को पीट दिया। भांजे ने गुस्से में ईंट उठाकर बिट्टू के सिर पर मार दी थी। जिससे उसके खून निकल आया था। झगड़े के समय बहन दूध लेने गई थी। जीजा अनिल सो रहे थे। बच्चों के विवाद को बड़े आपस में बैठकर सुलझा सकते थे। इस विवाद में मुकदमा लिखाया गया। उसके बाद समझौते के लिए दस लाख रुपये मांगे गए।
बच्चों से भी नासमझ निकले ये बड़े लोग
पुष्पांजलि ईको सिटी कालोनी में हर कोई सहमा हुआ है। लोग बोल रहे हैं कि छोटे से विवाद को बड़ा रूप दिया गया। भरत खरे के बेटे के सिर में मामूली चोट आई थी। बच्चों के विवाद में कोई एससी/एसटी का मुकदमा नहीं लिखाता है। दोनों पड़ोसी हैं। पड़ोसी रिश्तेदारों से भी पहले होता है। मुसीबत में सबसे पहले पड़ोसी ही काम आता है। रिश्तेदार तो बाद में आते हैं।
मुकदमे से सबक सिखाना चाहता था भरत
ताजगंज पुलिस ने बताया कि भरत खरे मुकदमा लिखाने आए थे। पुलिस ने उन्हें समझाया। कहा कि बच्चों का विवाद है। इस मामले को आपस में बैठकर सुलझा लें। पुलिस पंचायत करा देगी। डांट देगी। इतने छोटे विवाद में मुकदमा नहीं लिखा जाता मगर वह नहीं माने। साफ बोल दिया कि मुकदमा लिखाना है। वहीं कालोनीवासियों ने बताया कि संगीता मुकदमे के बाद से परेशान थीं। कालोनी में लोगों ने उनसे यह बोल दिया था कि भरत खरे और उनके परिजन कह रहे थे कि इस बार ऐसा सबक सिखाएंगे कि हेकड़ी निकल जाएगी।
रिश्तेदारों ने भी भड़काया, मांगे दस लाख
कालोनीवासियों की पंचायत में समझौते के लिए दस लाख रुपये की मांग की गई थी। यह जानकारी भी ताजगंज पुलिस को है। रविवार शाम सात बजे पंचायत शुरू हुई थी। भरत ने अपने एक दर्जन से अधिक रिश्तेदारों को बुलाया था। पंचायत में अनिल और उसकी पत्नी ने उनसे माफी मांगी। हाथ भी जोड़े। कहा कि बच्चों से गलती हो गई। उनकी कोई बात बुरी लगी हो तो माफ कर दें। भविष्य में ऐसा कभी नहीं होगा। रिश्तेदारों ने समझौता नहीं होने दिया। अनिल ने यहां तक कहा कि जहां भी इलाज कराना चाहें करा लें। वह पूरा खर्चा उठाएगा। इस पर दूसरे पक्ष के रिश्तेदारों ने कहा कि रोज-रोज उसे क्या बिल देने आया करेंगे। वह एक बार में इलाज के लिए रुपये दे दे। अनिल ने यह कहकर पांच लाख रुपये में असमर्थता जताई थी कि इतनी बड़ी रकम कहां से लाएगा। वह फौज से रिटायर है। व्यापारी नहीं है।