दुनिया में भारत के बढ़ते प्रभाव से सहमा चीन, अटकाना चाहता है रोड़े, ड्रैगन मानता है बड़ा प्रतिद्वंदी
दुनिया में भारत के बढ़ते प्रभाव से चीन सहम गया है। वह भारत की राह में रोड़ा अटकाना चाहता है। अमेरिकी विदेश मंत्रलय की एक रिपोर्ट से बीजिंग की यह मंशा उजागर हुई है। इसमें कहा गया है कि उभरते भारत को चीन एक प्रतिद्वंद्वी मानता है। वह अमेरिका और दूसरे लोकतांत्रिक देशों के साथ भारत की रणनीतिक साझेदार को बाधित करना चाहता है। इसके अलावा बीजिंग अमेरिका को पछाड़ महाशक्ति बनने की भी होड़ में है।
अमेरिका में गत तीन नवंबर को हुए राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडन की जीत हुई। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हाथों उनको सत्ता हस्तांतरण से पहले यह विस्तृत नीति दस्तावेज सामने आया है। इसमें कहा गया है कि चीन क्षेत्र में कई देशों की सुरक्षा, स्वायत्तता और आर्थिक हितों को कमजोर कर रहा है। रिपोर्ट कहती है, ‘चीन उभरते भारत को एक प्रतिद्वंद्वी के तौर पर देखता है। वह न सिर्फ अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और दूसरे लोकतांत्रिक देशों के साथ नई दिल्ली की रणनीतिक साझेदार को बाधित करना चाहता है बल्कि इस देश को आर्थिक रूप से फंसाकर अपनी महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए बाध्य भी करने का प्रयास करता है।’
अमेरिकी विदेश मंत्रालय की 70 पेज की रिपोर्ट के अनुसार, चीन कई अन्य देशों के की सुरक्षा, स्वायत्तता और आर्थिक हितों को भी कमजोर कर रहा है। हालांकि अमेरिका और दुनिया के दूसरे देशों में जागरुकता बढ़ रही है। सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) ने महाशक्तियों की प्रतियोगिता के एक नए युग की शुरुआत कर दी है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘चीनी चुनौतियों के मद्देनजर अमेरिका के लिए यह जरूरी हो गया है कि वह स्वतंत्रता की सुरक्षा करे। बीजिंग अमेरिकी प्रभाव को कम करने की फिराक में है।’
गौरतलब है कि हांगकांग के मुद्दे पर न सिर्फ अमेरिका बल्कि कई अन्य देशों ने भी चीन की कड़ी आलोचना की है। इतना ही नहीं आस्ट्रेलिया, कनाडा और ब्रिटेन ने तो हांगकांग के लोगों को अपनी नागरिकता देने की बात काफी समय पहले कर चीन की मुश्किलों को बढ़ाने का काम किया था। अमेरिका लगातार इस मुद्दे पर चीन को घेरने का प्रयास कर रहा है। अमेरिका का कहना है कि चीन लगातार हांगकांग में मानवाधिकार उल्लंघन कर रहा है और वहां के लोगों की आवाज को दबाने का प्रयास कर रहा है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि चीन की संसद द्वारा हांगकांग की आजादी के समर्थक चार सांसदों को निलंबित करने के बाद काफी बवाल मचा था। इसके खिलाफ हांगकांग की स्वायत्ता चाहने वाले सभी सांसदों ने हांगकांग की संसद से अपना इस्तीफा तक दे दिया था। चीन ने इन निलंबित सांसदों को गलत करार देते हुए कहा था कि इन सभी का आचरण अच्छा होना चाहिए था।