कौन-कौन जेडीयू सांसद हैं रेस में, दावेदारी का सियासी गणित जानिये
पटना. जेडीयू संसदीय दल की बड़ी बैठक दिल्ली में सुबह 9:30 बजे होगी. इसमें नवनिर्वाचित सभी 12 सांसद मौजूद रहेंगे. इसके साथ ही पार्टी के कई बड़े नेता भी रहेंगे. इस बीच मोदी मंत्रिपरिषद में शामिल होने वाले संभावित मंत्रियों को लेकर कयासबाजियां जारी हैं. इनमें जातियों के आधार पर भी वर्गीकरण किया जा रहा है. अगर जदयू के संभावित नामों की चर्चा करें तो इनमें कई सांसदों की दावेदारी है, लेकिन सबसे अधिक प्रबल संभावना किनकी है यह आगे विस्तार से दिया गया है.
ऐसे तो जदयू कोटे से कई सांसदों के नाम चर्चा में हैं जिनमें सवर्ण कोटे से देवेश चंद्र ठाकुर और लवली आनंद समेत कई के नाम विमर्श में हैं. लेकिन सवर्ण कोटे से सबसे अधिक संभावना राज्यसभा सांसद संजय झा या फिर मुंगेर से सांसद ललन सिंह का है. यहां एक फेंच फंसता दिखाई दे रहा है कि एक ब्राह्मण हैं तो दूसरे भूमिहार. ऐसे में जातिगत गोटी फिट करने में थोड़ी मुश्किल आ सकती है.
अनुसूचित जाति से इस नाम की चर्चा
एक नाम अनुसूचित जाति के आलोक सुमार सुमन का है जो गोपालगंज से सांसद हैं. वह लगातार तीसरी बार जदयू के टिकट पर चुनाव जीते हैं और ऐसे में अगर नीतीश कुमार की पार्टी अगर मंत्रिपरिषद में शामिल होती है तो आलोक कुमार सुमन की दावेदारी भी बनती दिख रही है. हालांकि, बमुश्किल तीन मंत्री ही बनाए जाने की संभावना है ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि किनका नंबर आता है.
इन मंत्रालयों पर दावेदारी की है चर्चा
दयू के इस अतिपिछड़े चेहरे की चर्चा
वहीं, जदयू के पिछड़े कोटे में रामनाथ ठाकुर और सुनील कुमार कुशवाहा का नाम काफी चर्चा में है. रामनाथ ठाकुर अति पिछड़ा समाज से आते हैं और पूर्व मुख्यमंत्री और बड़े समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर के बेटे हैं. लोक सभा चुनाव से पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने उन्हें भारत रत्न दिलवाई है. दूसरी ओर वाल्मिकी नगर से सांसद सुनील कुमार कुशवाहा जाति से हैं. इनके नाम की चर्चा जारी है.
दूसरी ओर रेल मंत्रालय को लेकर भी काफी चर्चा है कि यह जदयू के कोटे में आ सकता है. दरअसल, नीतीश कुमार, लालू यादव, राम विलास पासवान जैसे दिग्गज इस विभाग को पहले भी संभाल चुके हैं. रेलवे विभाग आने से बिहार में निवेश बढ़ सकता है और इससे नौकरी भी मिलेगी.