काल के हैं महाकाल…गीत पर वाराणसी में मुग्ध दिखे पीएम मोदी, लखनऊ के गीतकार संदीप बोले-सपना हुआ साकार
बाबा की भक्ति में संगीत की शक्ति मिली और कुछ ऐसा हुआ जो कभी सोचा नहीं था। देखते ही देखते संगीतकार एवं गायक संदीप गोस्वामी का गाना काल के हैं महाकाल…लोगों की जुबान पर चढ़ गया। काशी में देव दीपावली की संध्या के दौरान संदीप गोस्वामी के इसी गीत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत लाखों लोग महाकाल की भक्ति में लीन दिखे। प्रधानमंत्री ने संदीप गोस्वामी के इस गीत पर उल्लास में झूमते हुए लोगों का वीडियो भी सोशल मीडिया पर शेयर किया। आशियाना निवासी संदीप गोस्वामी की शुरुआती पढ़ाई लखनऊ से ही हुई। इंजीनियरिंग पर संगीत का शौक भारी पड़ा और फिर उन्होंने म्यूजिक इंडस्ट्री का चमकता सितारा बनने की चाह में मुंबई की राह पकड़ ली। फिलहाल संदीप अपने कुछ म्यूजिक वीडियोज की शूटिंग के सिलसिले में लखनऊ आए हैं।
संदीप बताते हैं, मैं महाकाल बाबा के दर्शन करने गया था। वहां एक अजब सी ऊर्जा मिली और मैंने शिवभक्तों के लिए एक ऐसा गीत बनाने का संकल्प लिया जिस पर वो झूम उठें। एक महीने में एक शिव भक्ति गीत के लक्ष्य के साथ यू ट्यूब चैनल शुरू किया। काल के हैं महाकाल…मेरा पहला शिवभक्ति गाना है, जिसे अब तक 25 मिलियन से ज्यादा व्यूज मिल चुके हैं। अपने गीत पर प्रधानमंत्री को मुग्ध देखना सपना साकार होने जैसा है। मैं शूटिंग के बहाने लखनऊ को और करीब से महसूस करने की कोशिश कर रहा हूं। हमने हाल ही में प्रसिद्ध भवरेश्वर मंदिर में भी शूटिंग की। महादेव को समर्पित मेरा एक और गीत डमरू जो बाजे…जल्द आने वाला है। इसके साथ ही कुछ और फिल्मी और नॉन फिल्मी गीत भी हैं।
सारेगामापा से पहुंचा मुंबई
संदीप बताते हैं, लखनऊ पब्लिक स्कूल से पढ़ाई की। पढ़ाई के दौरान ही विभिन्न प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेता रहता था। स्कूल में गायन प्रतियोगिता हुई, उसमें मैं जीता। अवार्ड के साथ खूब सराहना भी मिली। मुझे गाना अच्छा लगने लगा। मैंने गिटार सीखना भी शुरू किया, ये संगीत से जुड़ाव का मेरा पहला प्रयास था। गिटार के साथ एक खास रिश्ता कायम हो गया, जो आज भी है। शास्त्रीय संगीत भी सीखा। प्रयास संगीत समिति से संगीत विशारद किया। इंडी पॉप शुरू किया तो बैंड बना। बैंड के साथ-साथ कुछ शोज किए। सिंगिंग रियेलिटी शो सारेगामापा के लिए भी प्रयास किया। वहां से पहली बार मुंबई जाना हुआ। टॉप टेन तक पहुंचा। वहां करीब 20 दिन था। इस दौरान जो संगीत की खुमारी चढ़ी तो इंजीनियरिंग छोड़ दिया। यहां से मेरा संगीत का असली सफर शुरू हो गया।
संगीत के लिए छोड़ी इंजीनियरिंग
इंजीनियरिंग छोड़ी, तो परिवारवाले खुश नहीं थे, पर मैं अपनी राह चुन चुका था। मुंबई में ही रहकर साउंड इंजीनियरिंग की, ताकि अपने संगीत को और बेहतर कर सकूं। उसी दौरान मेरी मुलाकात विकास भल्ला, सोफिया चौधरी, अरुण डागा से हुई। कंपोजर के तौर पर तीन नॉन फिल्मी एल्बम रिलीज हुए। कंपोजर के तौर पर पहला नॉन फिल्मी हिट सॉन्ग दर्शन रावल का बारिश लेते आना…था। फिर होली गीत होलिया में उड़े रंग लाल-लाल रे…ने खूब धूम मचाई। भिंडी बाजार से पहला फिल्मी ब्रेक मिला। सारे गाने मुझे ही मिले थे। उस फिल्म में एक गाना गाया भी, यहां से राह थोड़ी आसान हुई। उसके बाद ब्लू मॉन्टेन फिल्म मिली। तीन साल पहले दिलफिरे फिल्म का दिल बेपवाह गाना…किया, जो खूब पसंद किया गया। जल्द ही दो फिल्में और वेब सीरिज रिलीज होने वाली है।