ऐसा कंडोम जो रात के अंधेरे में देगा सिग्नल
Smart Condom: कंडोम एक ऐसा अवरोधक उपकरण है जिसका उपयोग संभोग के दौरान गर्भावस्था या यौन संचारित संक्रमण की संभावना को कम करने के लिए किया जाता है। एक रिपोर्ट के मिताबिक कंडोम का उपयोग सन् 1564 से किया जा रहा है, रबर कंडोम 1855 में उपलब्ध हुए, इसके बाद 1920 के दशक में लेटेक्स कंडोम उपलब्ध हुए
प्रति वर्ष लगभग छह से नौ बिलियन की बिक्री
कंडोम को विश्व स्वास्थ्य संगठन की आवश्यक दवाओं की सूची में रखा गया है। कंडोम के उपयोग की दर पूर्वी और दक्षिण पूर्व एशिया, यूरोप और उत्तरी अमेरिका में सबसे अधिक है, प्रति वर्ष लगभग छह से नौ बिलियन की बिक्री होती है। भारतीय भी इस मामले में पीछे नहीं हैं। जिस प्रकार तेजपत्ता, इलायची, दालचीनी जैसे महकते मसालों की खुशबू खाने में न आए तो व्यंजन को लजीज नहीं समझा जाता। उसी प्रकार हेल्दी सेक्शुअल लाइफ में कंडोम की खुशबू को लेकर भी उतने ही सचेत हैं।
लोगों को लुभाने के लिए हो रहे कई तरह के एक्सपेरिमेंट
कंडोम कंपनियां भी लोगों की मांग को ध्यान में रखते हुए नए डिजाइन और फ्लेवर के साथ विभिन्न तरीकों की वेराइटी लाने की कोशिश में लगी हुई हैं। ऑरेंज, बनाना, चॉकलेट, चेरी, वॉटरमेलन स्ट्राबेरी जैसे फ्लेवर के कंडोम की डिमांड युवाओं में तेजी से बढ़ रही है। कंडोम मार्केट में लोगों को लुभाने के लिए कई तरह के एक्सपेरिमेंट किए जा रहे हैं। इनमें से एक है ‘नियोन कंडोम’ जो रात के अंधेरे में चमकता है। इसे ‘ग्लो इन द डार्क’ वेराइटी कहा जाता है।
अलग-अलग तरह की निकलेंगी लाइटें
दवा कंपनियां डिजाइन और फ्लेवर के मामले में कंडोम मैन्युफैक्चिरिंग को लेकर कई तरह के एक्सपेरिमेंट समय समय पर करती रही हैं। लंदन के आइजैक न्यूटन एकेडमी के 13-14 साल के तीन स्टूडेंट्स मुवाज नवाज, दानयाल अली और चिराग शाह ने स्मार्ट कंडोम बनाया है जिसे ST Eye ग्लोज कहा जाता है।ऐसे कंडोम की खासियत यह है कि यूज करने वाला व्यक्ति यदि STI, STD, सिफलिस, HPV से पीड़ित है तो कंडोम से अलग-अलग तरह की लाइट निकलेगी। कोई सिफिलिस से पीड़ित है तो कंडोम यूज करते समय नीले रंग की रोशनी निकलेगी, यदि एसटीडी से पीड़ित है तो हरे रंग की रोशनी और HPV से पीड़ित होने पर बैंगनी रंग की रोशनी निकलेगी।