उद्देश्यों की प्राप्ति से ही संस्थान बनता है मजबूतःजगदीश -देवबाड़ी के उत्थान में महाविद्यालय की भूमिका अहम:नीरज ओम प्रकाश द्विवेदी ओम के काव्य रचना दृष्टि का किया गया लोकार्पण
कुशीनगर।उद्देश्य को प्राप्त करने के लिये विभिन्न प्रकार के उपाय किये जाते है। यदि कहीं इसमें कोई त्रुटि हो जाती है तो वह उद्देश्य प्राप्त नहीं हो पाता है। संस्थान को मजबूत बनाने के लिए भी उसका एक उद्देश्य होता है। जब संस्थान उसे पा लेता है तो वह स्वतः ही मजबूत हो जाता है।
उक्त बातें बुधवार को नगर स्थित श्रीनाथ संस्कृत महाविद्यालय के 96 वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह को मुख्य वक्ता संबोधित करते हुए माध्यमिक शिक्षक संघ के शिक्षक नेता जगदीश पाण्डेय ने कही।
उन्होंने कहा कि यह महाविद्यालय अपने प्रबन्ध समिति के ईमानदारी और इसके प्रति समर्पण के दम पर अपने उद्देश्य में सफलता प्राप्त कर रहा है। संस्कृत के उत्थान के प्रति यह जिस तरह से अग्रसर है यह काबिले तारीफ है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वित्त एवं लेखाधिकारी माध्यमिक शिक्षा परिषद कुशीनगर नीरज कुमार द्विवेदी ने कहा कि विश्व भौतिकता वाद के कारण तेजी से अंधकार की तरफ बढ़ता जा रहा है। चारो तरफ अशान्ति फैलती जा रही है। इसके कारण कब उसका अस्तित्व समाप्त हो जाय कुछ कहा नहीं जा सकता है। इससे बचने का एकमात्र उपाय शान्ति व संतुष्टि है जो हमे संस्कृत से प्राप्त हो सकती है। ऐसे में शान्ति व संतुष्टि के लिए संस्कृत भूमिका अहम है। उन्होंने कहा कि ज्ञान मनुष्य को उत्पादक बनाता है तथा संतुष्ति प्रदान करता है। भौतिक दिक्कतों को ज्ञान के माध्यम से ही समाप्त किया जा सकता है। व्यक्ति को ज्ञान विद्या व अविद्या से प्राप्त होते हैं। विद्या हमें सत्य की तरफ अग्रसर करती है वही अविद्या भय की तरफ ले जाती है और हमें अंधकार में ढकेल देती है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति की रक्षा तभी हो पायेगी जब हम संस्कृत को अपनायेंगे।
भारतीय संस्कृति तभी मजबूती से स्थापित हो पायेगी जब संस्कृत को अपनायेंगे।यह महाविद्यालय संस्कृत शिक्षा को बढावा दे रहा है और भारतीय संस्कृति को बचाने में अपनी अहम भूमिका निभा रहा है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि नगरपालिका अध्यक्ष मोहन वर्मा ने कहा कि यह महाविद्यालय इमानदारी से संस्कृत शिक्षा को बढावा दे रहा है,मै बीना भेद भाव के कार्य कर रहा हूं आज जो कुछ भी हू इसमें इस संस्था का बडा महत्वपूर्ण योगदान है।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में अरुणेश नीरन ने कहा कि
संस्कृत भारतीय संस्कृति की पोषक है। जब तक हम संस्कृत को ईमानदारी से बढ़ावा नही देंगे हमारी संस्कृति औसान की तरह अग्रसर होती जाएगी।यह संस्कृत महाविद्यालय संस्कृति की रक्षा के लिए जिस प्रकार से संस्कृत भाषा को बढ़ावा दे रहा है इसकी जितनी भी प्रशंसा की जाय कम ही है।
कार्यक्रम के दौरान प्रोफेसर सदानन्द शुक्ल ज्योतिष विभाग संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी को महाविद्यालय प्रबंध समिति ने अंग वस्त्र व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन शिक्षक नन्दा पांडेय ने किया।इस कार्यक्रम के शुभारंभ में मुख्य अतिथि ने मां सरस्वती के प्रतिमा को माल्यार्पण व दिप प्रज़्जवलन कर किया गया तत्पश्चात सरस्वती बंदना व स्वागत गीत का आयोजन हुआ।इस कार्यक्रम में बरिष्ठ पत्रकार व प्रवक्ता ओम प्रकाश द्विवेदी के काव्य संग्रह दृष्टि का लोकार्पण किया गया।
इस अवसर पर महाविद्यालय परिवार के द्वारा बुद्धिजीवियों एवं कवियों का सम्मान किया गया | सम्मानित कवि हैं, जीतेन्द्र पाण्डेय जौहर, रमापति रसिया ,अवधू राम अवधू, त्रिलोकी नाथ त्रिपाठी चंचरीक, आकाश महेश पुरी, मधुसूदन पाण्डेय, राजकुमार भट्ट, आरजू,कृष्णा श्रीवास्तव।
आगन्तुकों का स्वागत प्रबन्ध समिति के मंत्री गंगेश्वर पाण्डेय ने की तथा आगन्तुकों के प्रति आभार प्रबन्ध समिति के प्रबन्धक अग्निवेश मणि ने व्यक्त किया।
इस दौरान महाविद्यालय के अध्यक्ष जयप्रकाश पांडेय,रामचन्द्र पांडेय, प्राचार्य डॉ रजेश कुमार चतुर्वेदी,संजय पांडेय, मोहन पांडेय, विनोद मणि, श्याम नारायण पांडेय, रामानुज द्विवेदी, संजय दुबे, विनोद मणि, दिनेश भारद्वाज,विश्वास मणि, आदि मौजूद रहे।