आखिर गरीबों तक कैसे पहुंचेगी कोरोना वैक्सीन, जानें इसकी राह की बड़ी बाधा, क्या है WHO का प्लान
दुनियाभर में कोविड-19 की वैक्सीन बनाने के लिए करीब 44 प्रोजेक्ट चल रहे हैं। इसमें कई दवा कंपनियों ने निर्माणाधीन वैक्सीन के कारगर होने का भी ऐलान कर दिया है। ऐसे में एक भय यह सता रहा है कि क्या यह वैक्सीन गरीब मुल्कों के मरीजों के लिए सुलभ होगी? बहुत सारे सवाल मन में पैदा होते हैं। अमुमन क्या गरीबों की पहुंच में वैक्सीन होगी ? कहीं अमीर देश इसकी जमाखोरी तो नहीं करने लगेंगे ? विश्व स्वास्थ्य संगठन इसके लिए क्या कदम उठा रहा है।
भारत में कोल्ड चेन की लचर व्यवस्था
अब नया सवाल यह है कि वैक्सीन सभी नागरिकों खासकर गरीब मरीजों तक कैसे पहुंचेगी। कुछ देशों में तो टीका बनने से लेकर लगने तक उसे सुरक्षित रखने का काफी इंतजाम कर लिया है। फिलहाल अपने देश में अभी यह इंतजाम नहीं है। दरअसल, इस व्यवस्था को कोल्ड चेन कहा जाता है। भारत में कोल्ड चेन की मौजूदा व्यवस्था वैक्सीन को संभालकर रखने के लायक नहीं है। इसके लिए शुन्य से लेकर -75 डिग्री सेंटीग्रेड से नीच की बर्फीली ठंडक का इंतजमा चाहिए।
छोटा होगा पोलियो का अनुभव, राह आसान नहीं
एक बड़ा सवाल यह है कि दुनिया के सभी नागरिकों को यह टीका कैसे मुहैया होगा। खासकर भारत जैसे मुल्कों की बात करें तो यहां 135 करोड़ से भी ज्यादा आबादी के लिए यह और भी मुश्किल और चुनौतीपूर्ण है। बेशक देश के पास पोलियो के टीके का वितरण को बेहतरीन अनुभव है, लेकिन इसका आकार व प्रभाव कोरोना वायरस से सीमित था। कोरोना वैक्सीन को सभी तक पहुंचाने का काम आबादी के लिहाज से उससे बहुत बड़ा है। खासकर तब जब मौजूदा समय में सरकारी खजाने की हालत पतली हो चुकी है। ऐसे में यह काम अकेले सरकार के बूते का नहीं हो सकता। इसमें सामाजिक क्षेत्र और उद्योग जगत को भी हाथ बंटाना होगा।
गरीबों के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की बड़ी पहल
1. गरीब मुल्कों को आसानी से कोरोना वैक्सीन मिले इसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कमर कस ली है। संगठन ने देशों का एक ऐसा समूह तैयार किया है, जिससे गरीब मुल्कों तक इसकी पहुंच को आसान किया जा सके। संगठन ने इस समूह को कोवैक्स यानी ग्लोबल वैक्सीन फैसिलिटी नाम दिया है। इसका उद्देश्य वर्ष 2021 के अंत तक प्रभावी कोरोना वैक्सीन की दो अरब खुराक डिलिवर करना है। हालांकि, कोवैक्स प्रोग्राम के नियमों पर अभी अंतिम रूप से तय किया जाना शेष है, लेकिन कोवैक्स के साथ 92 गरीब और 80 अमीर मुल्क जुड़ चुके हैं। इसका उद्देश्य कोरोना वायरस की वैक्सीन, ट्रीटमेंट, टेस्ट और अन्य रिसोर्स बड़े पैमाने पर उपलब्ध हों ताकि महामारी को रोका जा सके।
2. हालांकि, डब्लूएचओ की इस राह में बाधाएं बहुत हैं। एक तरफ डब्लूएचओ कोराना वायरस को खत्म करने के लिए एक मंच की तैयारी में जुटा है, वहं दूसरी ओर अमीर मुल्क निजी स्तर पर वैक्सीन की तलाश कर रहे हैं ताकि उनके नागरिकों को जल्द वैक्सीन मिल सके। इतना ही नहीं कई मुल्कों ने वैक्सीन तैयार होने से पहले ही उसकी खरीदारी की डील तैयार करने में जुटे हैं। इस बाबत डब्लूएचओ ने इन मुल्कों को खबरदार भी किया है कि यदि वैक्सीन की जमाखोरी बढ़ी तो इससे महामारी का खतरा बढ़ सकता है।