22 November, 2024 (Friday)

हमारी-आपकी जेब पर 3 साल में 250000000000 का डाका, सिक्किम के बजट से दोगुनी है रकम

नई दिल्ली: भारत में साइबर फ्रॉड की जड़ काफी मजबूत हो चुकी है. हर दिन कोई न कोई इसका शिकार हो रहा है. साइबर फ्रॉड से किसी के लाखों चपत हो रहे हैं तो किसी के करोड़ों. आपको जानकर हैरानी होगी कि पिछले तीन सालों में हम भारतीय साइबर फ्रॉड से इतने रुपए गंवा चुके हैं, जितना किसी राज्य का सालान बजट होता है. जी हां, सरकार का अनुमान है कि पिछले 3 सालों में साइबर फ्रॉड से भारतीयों को 25,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. यह रकम सिक्किम राज्य के सालाना बजट से दोगुनी है.

सूत्रों की मानें तो इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में एक हाई लेवल की बैठक हुई है. इसमें गृह मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधिकारियों ने इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और गूगल जैसे विभिन्न सोशल मीडिया मचों के साथ अपनी चिंताओं को शेयर किया है. इस बैठक में यह आकलन किया गया कि पिछले तीन सालों में साइबर धोखाधड़ी से 25,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. पिछले साल ही औसतन एक दिन में साइबर फ्रॉड से जुड़ी 27 एफआईआर दर्ज की गईं. यह संख्या साइबर फ्रॉड की शिकायतों की वास्तविक संख्या से काफी कम है.

कितने का नुकसान?
डेटा से यह भी खुलासा हुआ है जनवरी 2024 से जून 2024 तक सेंट्रल साइबर फ्रॉड एजेंसी को 709 शिकायतें मिलीं. इनमें पीड़ितों को 1 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ. कुल नुकसान 1,421 करोड़ रुपये था. बैठक में शामिल रहने वाले एक सीनियर अधिकारी ने न्यूज18 को बताया कि सरकार लगातार एक ऐसी प्रणाली पर काम कर रही है, जहां सूचना का प्रवाह तेज हो. फिलहाल, सभी कंपनियां शुरुआती चरण में भी कई तरह के डिटेल्स मांगती हैं. इसकी वजह से साइबर फ्रॉड को रोकने की प्रक्रिया में देरी होती है. जालसाजी करने वाले सोशल मीडिया ऐप का इस्तेमाल एम्पलीफायर के रूप में कर रहे हैं, जिससे वे आसानी से पीड़ितों को अपनी जाल में फंसा लेते हैं.

2020 से कितने मामले दर्ज
हाल के दिनों में साइबर क्राइम के कई मामले सामने आए, मसलन- एम्स पर साइबर हमले, आईसीएमआर यानी भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद डेटा लीक और लोन देने वाले ऐप से फ्रॉड. नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल पर 2020 से फरवरी 2024 के बीच 31 लाख शिकायतें दर्ज कराई गई हैं. केंद्र सरकार के एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक, सबसे बड़ी चिंता यह है कि साइबर फ्रॉड के मामलों में गिरफ्तारी की संख्या बहुत कम है.

कम गिरफ्तारी है चिंता का सबब
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, साइबर फ्रॉड के केसों में कुल गिरफ्तारियां कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा दर्ज किए गए कुल मामलों का 1 फीसदी भी नहीं हैं. आधिकारिक डेटा के मुताबिक, साइबर फ्रॉड से संबंधित विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा दर्ज किए गए कुल मामले या एफआईआर 66,000 से अधिक हैं. मगर इस साल तक की गई गिरफ्तारियां केवल 500 हैं. सूत्रों के अनुसार, भारत सरकार ने सोशल मीडिया मंचों से अपनी सिफारिशों पर काम करने को कहा है. सूत्रों ने कहा कि कंपनियों को लोन ऐप, पोंजी स्कीम और स्टॉक ट्रेडिंग समूहों पर फर्जी विज्ञापनों का पता लगाने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा गया है. इतना ही नहीं, सरकार ने उनसे भारतीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों से डेटा अनुरोधों में तेजी लाने का भी आग्रह किया है. फिलहाल, इसमें सप्ताह भर का वक्त लगता है.

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