23 November, 2024 (Saturday)

पीएम-कुसुम योजना के तहत फीडर स्तर के सौर संयंत्र लगाने के लिए दिशानिर्देश जारी

सरकार ने पीएम-कुसुम योजना के तहत फीडर स्तर के सौर संयंत्र (सोलराइजेशन) लगाने को लेकर राज्यों के साथ परामर्श के बाद शुक्रवार को दिशानिर्देश जारी किया। सरकार ने फरवरी 2019 में प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम) योजना शुरू करने की मंजूरी दी थी। इस योजना का मकसद किसानों को सौर ऊर्जा क्षमता विकसित कराकर उन्हें वित्तीय और जल सुरक्षा उपलब्ध कराना है। इसके जरिये 2022 तक 25,750 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता का लक्ष्य रखा गया है।

क्या है पीएम-कुसुम योजना

पीएम-कुसुम योजना का ‘सी-घटक ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों को फीडर स्तर के सौर संयंत्र (सोलराइजेशन) उपलब्ध कराता है। राज्यों के साथ विचार-विमर्श के बाद, फीडर स्तर पर सोलराइजेशन का भी निर्णय किया गया है। इसके तहत प्रत्येक कृषि पंप के लिये अलग पैनल के बजाए एक ही सौर बिजली संयंत्र स्थापित किया जाएगा। इसकी क्षमता इतनी होती है कि यह कृषि फीडर या कई फीडरों को बिजली आपूर्ति कर सकता है।

फीडर स्तर के इस सोलराइजेशन से मितव्ययता और बेहतर दक्षता प्राप्त की जा सकेगी। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में कहा, ”राज्यों के साथ हुई चर्चा के आधार पर पीएम-कुसुम योजना के घटक-सी के तहत फीडर स्तर के सौर संयंत्र को भी शामिल करने का निर्णय किया गया है।

योजना के घटक

योजना के तहत तीन घटक हैं। घटक-ए में विकेंद्रित जमीन पर ग्रिड से जुड़ा नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्र का लगाया जाना शामिल हैं। घटक-बी में एकल आधार पर सौर बिजली चालित कृषि पंप तथा घटक-सी के तहत कृषि पंपों के लिये ग्रिड कनेक्टेड संयंत्र का प्रावधान शामिल किया गया है। बयान के अनुसार दिशानिर्देश के तहत वितरण कंपनी/बिजली विभाग संबंधित क्षेत्र में फीडर स्तर पर संयंत्र के लिये क्रियान्वयन एजेंसी होंगे।

कैसे मिलेगा लोन

अतिरिक्त सौर बिजली का उपयोग आसपास के ग्रामीण/ शहरी क्षेत्र को आपूर्ति में किया जा सकता है। फीडर-स्तर के सौर बिजली संयंत्र लगाने के लिये, केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) 30 प्रतिशत (पूर्वोत्तर राज्यों, पहाड़ी/केंद्रशासित प्रदेशों के मामले में 50 प्रतिशत) होगी जबकि शेष नबार्ड/पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन/आरईसी से कर्ज के रूप में प्राप्त किया जा सकता है। इसमें परियोजना लगाने वाली इकाई का चयन 25 साल के लिये निम्न शुल्क दर के आधार पर किया जाएगा। मंत्रालय ने यह भी कहा कि देश में विनिर्मित सौर पैनल, सौर सेल और मोड्यूल्स का उपयोग करना अनिवार्य होगा।

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