धान बेचने के लिए दलालों की दुकान पर किसान लगा रहे हाजिरी, दीपावली के पूर्व मंडी जाना है मजबूरी
दीपावली के पहले दलाल और मिल मालिकों के दरबार में किसान हाजिरी लगा रहे हैं। दरअसल इस वर्ष एक दिसंबर से राज्य में धान की सरकारी खरीदी होनी है। इसके पहले दीपावली पर्व है। किसान इस बात को लेकर चिंतित और परेशान हैं कि उन्हें दीपावली पर मजदूरों को भुगतान करना है। घर में त्योहार मनाना है। नकदी हासिल करने के लिए किसानों के सामने दलालों और मिल मालिकों के पास जाने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। मजबूरी में 1200 से 1400 रुपये प्रति क्विंटल भाव से धान बेचना पड़ रहा है। वहीं कुछ किसानों का यह भी कहना है कि सरकार प्रति एकड़ सिर्फ 15 क्विंटल धान की खरीदी करेगी। शेष बचे हुए धान को बाद में दलालों के पास ही बेचना पड़ेगा। लिहाजा अभी से बेच रहे हैं।
गौरतलब है कि इस बार धान का बंपर उत्पादन हुआ है। प्रति एकड़ औसतन 25 क्विंटल उत्पादन का आकलन है। लोरमी के ग्राम कुटेला टोला निवासी कृषक पारस पटेल ने कहा कि कोचिए (दलाल) मौके का फायदा उठा रहे हैं। कोचिए जो दाम बोल रहे हैं उसी में बेचना पड़ रहा है। लोरमी विकासखंड के ग्राम खाम्ही के किसान तुलाराम साहू का कहना है कि उन्होंने 15 एकड़ में धान की खेती की है। फसल की कटाई भी शुरू हो चुकी है। दीपावली के पहले धान खरीदी शुरू नहीं होने से किसानों को आर्थिक परेशानी हो रही है। बिलासपुर के कोचिया दीपेंद्र कुमार के मुताबिक जिले से बड़ी संख्या में किसान लगातार संपर्क कर रहे हैं। राइस मिल या मंडी में बोली लग रही है। प्रतिदिन 25 से 40 किसान आ रहे हैं।
धान का समर्थन मूल्य 25 सौ रुपये है तय
छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार सहकारी समितियों के माध्यम सें धान की खरीदी करती है। राज्य सरकार की तरफ से धान का समर्थन मूल्य 25 सौ रुपये क्विंटल निर्धारित है। आधी कीमत में धान बेचकर किसानों नुकसान उठाने को बाध्य हैं क्योंकि त्योहार में दूसरों को भुगतान करना भी जरूरी है।