डीटीएच सेवाओं के लिए नए दिशा-निर्देशों को कैबिनेट मंजूरी
केन्द्रीय कैबिनेट ने देश में डायरेक्ट टू होम यानि डीटीएच सेवाएं देने के लिए लाइसेंस से जुड़े दिशा-निर्देश में बदलाव के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि अब डीटीएच के लिए लाइसेंस मौजूदा 10 वर्ष की अपेक्षा अब 20 वर्ष की अवधि के लिए जारी किए जाएंगे। सरकार का मानना है कि नए दिशानिर्देशों में इस क्षेत्र में नए निवेश के साथ साथ रोजगार के भी मौके बढ़ेंगे।
प्रकाश जावड़ेकर ने बताया इस क्षेत्र के लिए 100 फीसदी का एफडीआई का फैसला पहले ही किया जा चुका था लेकिन सूचना प्रसारण मंत्रालय की गाइडलाइंस के चलते ये लागू नहीं हो पाया था। अब मंत्रालय ने गाइडलाइंस में बदलाव कर दिया है जिसके बाद ये क्षेत्र पहले के 49 के मुकाबले 100 फीसदी एफडीआई के दायरे में आ जाएगा। इसके संशोधित दिशा-निर्देश सूचना और प्रसारण मंत्रालय की तरफ से जारी किए जाएंगे। साथ ही कंपनियों से लाइसेंस शुल्क मौजूदा सालाना आधार के बजाए अब तिमाही आधार पर इकट्ठा किया जाएगा। नए फैसले के मुताबिक लाइसेंस शुल्क को मौजूदा जीआर के 10 प्रतिशत से एजीआर के 8 प्रतिशत तक संशोधित किया गया है। जीआर से जीएसटी को घटाकर एजीआर की गणना की जाएगी।
सरकार की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक डीटीएच संचालकों को उनके द्वारा दिखाए जाने वाले कुल अनुमति प्राप्त प्लेटफॉर्म चैनलों की क्षमता से अधिकतम 5 प्रतिशत के संचालन को अनुमति दी जाएगी। एक डीटीएच संचालक से प्रति पीएस चैनल के लिए 10,000 रुपये का नॉन-रिफंडेबल पंजीकरण शुल्क भी लिया जाएगा। इसके अलावा स्वैच्छिक आधार पर डीटीएच संचालकों के बीच बुनियादी ढांचे को साझा करने की इच्छा रखने वाले डीटीएच संचालकों को डीटीएच प्लेटफॉर्म और टीवी चैनलों की ट्रांसपोर्ट स्ट्रीम को साझा करने की अनुमति भी मिलेगी। टीवी चैनलों के वितरकों को अपनी सब्सक्राइब मैनेजमेंट सिस्टम और कंडीशनल ऐक्सेस सिस्टम आवेदनों के लिए समान हार्डवेयर को साझा करने की अनुमति दी जाएगी। सरकार का मानना है कि डीटीएच क्षेत्र एक अत्यधिक रोजगार प्रदाता क्षेत्र है। यह सीधे तौर पर डीटीएच संचालकों को रोजगार देने के साथ-साथ कॉल सेंटरों में कार्यरत कार्मिकों के अलावा जमीनी स्तर पर अप्रत्यक्ष रूप से काफी बड़ी संख्या में इन्सटॉलरों को भी रोजगार देता है। लंबे समय के लिए लाइसेंस अवधि और नवीनीकरण पर स्पष्टता के साथ-साथ एफडीआई सीमा जैसे संशोधनों से इस क्षेत्र में नए निवेशों के अलावा रोज़गार अवसरों को सुनिश्चित किया जा सकेगा।