जंग के मैदान में दुनिया के 92 देश, फूंक डाले इतने पैसे… जितनी चीन की कुल हैसियत नहीं
दुनिया के एक-दो नहीं, बल्कि 92 देश इस वक्त युद्ध से जूझ रहे हैं. इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस के ताजा ग्लोबल पीस इंडेक्स के मुताबिक फिलहाल दुनिया में छोटी-बड़ी कुल 56 लड़ाइयां चल रही हैं. जिनमें 92 देश शामिल हैं. लड़ाई के सिर्फ 2023 में 162,000 लाख लोगों को जान गंवानी पड़ी. हालांकि असल आंकड़े इससे कहीं ज्यादा हो सकते हैं.
क्या है पीस इंडेक्स में?
ग्लोबल पीस इंडेक्स (Global Peace index) के मुताबिक द्वितीय विश्व युद्ध (Second World War) के बाद इस समय दुनिया में सबसे ज्यादा लड़ाइयां चल रही हैं. 92 देश अपनी सीमा से बाहर जंग में हैं. साल 2008 के बाद लड़ाइयों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. 2023 ऐसा साल था, जब सबसे ज्यादा झगड़े हुए. रिपोर्ट के मुताबिक कई देशों के बीच ऐसी छोटी-छोटे झगड़े चल रहे हैं, जो भविष्य में बड़े जंग में तब्दील हो सकते हैं. उदाहरण के तौर पर इथोपिया या मिडिल ईस्ट में चल रहे झगड़े.
साल भर में 1.62 लाख की मौत
पीस इंडेक्स के मुताबिक दुनिया भर में चल रही लड़ाइयों के चलते अकेले 2023 में 162,000 लाख लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. यह पिछले 30 सालों में दूसरा ऐसा साल था, जब सबसे ज्यादा मौतें हुईं. इनमें से एक तिहाई लोगों की मौत रूस-यूक्रेन और गाजा की लड़ाई में हुई. यूक्रेन में अकेले 83000 लोगों की मौत हुई. तो अप्रैल 2024 तक फिलिस्तीन में 33000 लोगों को मौत हो चुकी है. अगर मौतों का सिलसिला इसी तरह जारी रहा तो इस साल, 1994 के रवांडा नरसंहार से ज्यादा मौतें हो सकती हैं.
लड़ाई में फूंक डाले 19.8 ट्रिलियन डॉलर
दुनिया भर में चल रही लड़ाइयों में 2023 तक 19.8 ट्रिलियन डॉलर स्वाहा हो चुका है. यह इतनी बड़ी रकम है कि चीन, जर्मनी, जापान, भारत, ब्रिटेन या फ्रांस जैसे देशों की इकोनॉमी इतनी नहीं है. उदाहरण के तौर पर चीन की कुल इकोनॉमी 18.53 ट्रिलियन डॉलर की है तो जर्मनी की 4.59, भारत की 3.94 और ब्रिटेन की 3.5 ट्रिलियन डॉलर की.
सबसे अशांत इलाका कौन सा?
Peace index के मुताबिक मिडिल ईस्ट और नॉर्थ अफ्रीका सबसे ज्यादा अशांति वाले इलाके हैं. प्रत्येक दस में से चार अशांत देश इन्हीं इलाकों के हैं. सूडान और यमन सबसे अशांत देश हैं.
गोला-बारूद जुटाने की होड़
पीस इंडेक्स (Global Peace index) में इस बात का भी जिक्र है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद किस तरीके से दुनिया के देश मिलिटराइजेशन की तरफ तेजी से बढ़ रहे हैं. हथियार, गोला-बारूद जुटाने की होड़ मच गई है. ज्यादातर देश सैनिकों की संख्या में इजाफा नहीं कर रहे हैं, बल्कि मॉडर्न टेक्नोलॉजी से लेकर अत्याधुनिक हथियार जुटाने में लगे हैं.
चीन से ताकतवर अमेरिका
पीस इंडेक्स में दुनिया के बड़े देशों की मिलिट्री ताकत का भी अंदाजा लगाया गया है. इसके मुताबिक अमेरिका (America) के पास चीन (China) के मुकाबले कहीं ज्यादा मिलिट्री कैपेबिलिटी है. वहीं रूस भी तेजी से आगे बढ़ रहा है.
11 करोड़ लोगों का घर-बार छिना
युद्ध के चलते 110 मिलियन (110,000,000) लोगों का घर-बार छिन गया है. या को शरणार्थी हैं या हिंसक संघर्ष के कारण विस्थापित हो गए हैं. ऐसे लोगों की संख्या दिन-प्रति-दिन बढ़ती जा रही है.